पति का व्यवहार अच्छा, तो प्री मैच्योर डिलीवरी की संभावना कम शोध

पति का व्यवहार अच्छा, तो प्री मैच्योर डिलीवरी की संभावना कम शोध
शिशु मृत्यु दर की अक्सर मुख्य वजह प्री-टर्म बर्थ यानी शिशु का समय से पहले जन्म लेना माना जाता है। गर्भावस्था के 37 सप्ताह से पहले अगर डिलीवरी होती है तो कुछ स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें होना भी लाजिमी होता है। हालांकि प्री-टर्म बर्थ को रोकने की कोई निश्चित व्यवस्था नहीं होती, लेकिन नए शोध ने कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने रख दिए हैं।

नई दिल्ली, 14 नवंबर (आईएएनएस)। शिशु मृत्यु दर की अक्सर मुख्य वजह प्री-टर्म बर्थ यानी शिशु का समय से पहले जन्म लेना माना जाता है। गर्भावस्था के 37 सप्ताह से पहले अगर डिलीवरी होती है तो कुछ स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें होना भी लाजिमी होता है। हालांकि प्री-टर्म बर्थ को रोकने की कोई निश्चित व्यवस्था नहीं होती, लेकिन नए शोध ने कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने रख दिए हैं।

इस शोध के नतीजे बताते हैं कि गर्भवती के साथी का आत्मविश्वास और उसका आत्मसम्मान यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है कि बच्चा स्वस्थ और समय पर पैदा होगा।

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, मर्सिड ने 200 से अधिक जोड़ों (गर्भवती महिला और उसके पति) का अध्ययन किया। बायोसाइकोसोशल साइंस एंड मेडिसिन नामक पत्रिका में ये रिपोर्ट प्रकाशित की गई।

शोधकर्ताओं ने पाया कि जब पिता दृढ़ निश्चयी होते हैं और उनके आत्म-सम्मान का स्तर ज्यादा होता है, तो उनकी साथी गर्भावस्था के दौरान कम दबाव झेलती हैं।

गर्भवती महिलाओं के ब्लड सैंपल्स का विश्लेषण सी-रिएक्टिव प्रोटीन के लिए किया गया, जो लिवर में बनता है। यह एक ब्लड मार्कर है और शरीर में इन्फेक्शन का लेवल बताता है। इसका संबंध प्री-टर्म बर्थ से होता है।

अक्टूबर 2025 में प्रकाशित इस रिपोर्ट के मुताबिक, शोध के दौरान जोड़ों से उनके आत्म-सम्मान स्तर के बारे में पूछा गया, और उन्होंने दूसरों से मिले भावनात्मक समर्थन और आत्मविश्वास के बारे में बताया।

पाया गया कि जिन पुरुषों का सामाजिक रुतबा ठीक था और साथी का पूरा साथ देते थे उनकी पत्नियों को शारीरिक दिक्कत कम हुई, जिसका सीधा सा अर्थ रहा कि उनमें प्री टर्म बर्थ की समस्या नहीं हुई।

इसके विपरीत, जिन महिलाओं के साथी सकारात्मक नहीं होते उनमें सूजन के लक्षण ज्यादा पाए गए और गर्भावस्था की अवधि भी कम रही, यानी प्री टर्म बर्थ की आशंका बढ़ गई।

शोधार्थियों को उम्मीद है कि उनका शोध माता-पिता को यह समझने में मदद करेगा कि एक स्वस्थ बच्चे को दुनिया में लाने के लिए क्या करना चाहिए।

अध्ययन की सह-लेखिका जेनिफर हैन-होलब्रुक के मुताबिक, "यह उन पहले अध्ययनों में से एक है जो दर्शाता है कि एक पिता की आंतरिक शक्तियां, जैसे कि उसका आशावादी होना और चुनौतियों का सामना करने की उनकी क्षमता का अजन्मे बच्चे पर भी असर पड़ता है।"

मजबूत सामाजिक संबंधों को पहले भी स्वस्थ गर्भधारण और प्रसव से जोड़ा गया है।

हैन-होलब्रुक के अनुसार, गर्भवती पिताओं की सकारात्मक भावनाएं दंपत्ति और बच्चे के लिए स्वस्थ घर और जीवन का मार्ग भी प्रशस्त कर सकती हैं।

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Created On :   14 Nov 2025 8:30 PM IST

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