राजनीति: 2027 के बाद जो सत्ता में आएगा, वही यूपी का विजन तय करेगा पल्लवी पटेल

2027 के बाद जो सत्ता में आएगा, वही यूपी का विजन तय करेगा पल्लवी पटेल
उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र की शुरुआत सोमवार से हो गई। इस बार सरकार ने 24 घंटे नॉन-स्टॉप सत्र चलाने का निर्णय लिया, हालांकि प्रदेश की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी ने 24 घंटे के सत्र में शामिल होने से मना कर दिया। इस बीच विरोधी दलों ने इस चर्चा को लेकर अपनी राय व्यक्त की है।

लखनऊ, 11 अगस्त (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र की शुरुआत सोमवार से हो गई। इस बार सरकार ने 24 घंटे नॉन-स्टॉप सत्र चलाने का निर्णय लिया, हालांकि प्रदेश की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी ने 24 घंटे के सत्र में शामिल होने से मना कर दिया। इस बीच विरोधी दलों ने इस चर्चा को लेकर अपनी राय व्यक्त की है।

अपना दल (कमेरावादी) नेता एवं विधायक पल्लवी पटेल ने आईएएनएस से कहा, "उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है, जिसकी आबादी 25 करोड़ है और 403 जनप्रतिनिधि हैं। अगर यह चार दिवसीय विधानसभा सत्र दिन-रात चलाया भी जाए, तो भी सभी 403 निर्वाचन क्षेत्रों के मुद्दों का पूरी तरह से समाधान नहीं हो पाएगा। वे (यूपी सरकार) विजन तय करने वाले कौन होते हैं? विजन 2027 के बाद जो भी सत्ता में आएगा, वही तय करेगा। जिसकी सरकार बनेगी, वही विजन बनाएगा। वे यह कैसे मान सकते हैं कि 2027 में वे ही इसे तय करेंगे?"

सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव ने कहा, "हम वर्तमान में सत्ता में नहीं हैं, और चूंकि हम सत्ता में नहीं हैं, इसलिए हम अपने सहयोगियों और समर्थकों के माध्यम से काम कर रहे हैं जो शिक्षा और गरीब बच्चों के कल्याण में शामिल हैं।"

कांग्रेस विधायक आराधना मिश्रा ने कहा, "यह साढ़े तीन दिनों का एक छोटा सत्र है, और विपक्ष बार-बार मांग कर रहा है कि उत्तर प्रदेश के 25 करोड़ लोगों की आवाज इस सदन में सुनी जानी चाहिए, क्योंकि हम इसी उद्देश्य से चुने गए हैं। अगर इस सत्र में बाढ़, कानून व्यवस्था, स्कूल बंद होने, बच्चों का भविष्य, निजीकरण और युवा बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर चर्चा नहीं होगी, तो फिर किस पर चर्चा होगी?"

मतदाता सूची में कथित तौर पर गड़बड़ी करने वाले मामले को लेकर उन्होंने कहा, "मैं एक सवाल पूछना चाहती हूं और मैं इसे बहुत गंभीरता से पूछ रही हूं। राहुल गांधी कोई साधारण व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि वह विपक्ष के नेता के रूप में एक संवैधानिक पद पर हैं और संसद के सदस्य हैं। उन्होंने शपथ ली है और सदन में अपनी जगह ली है। उन्होंने सबूतों के साथ अपनी बात रखी है। क्या चुनाव आयोग यह कहते हुए एक हलफनामा देगा कि उनके रिकॉर्ड में कोई त्रुटि नहीं है? उन्हें पहले यह हलफनामा देना चाहिए।"

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Created On :   11 Aug 2025 1:14 PM IST

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