सत्ता, साजिश और मौत वेनेज़ुएला के नेता कार्लोस चालबाउ का भयावह अंत
नई दिल्ली, 12 नवंबर (आईएएनएस)। वेनेज़ुएला के इतिहास में 13 नवंबर 1950 का दिन अपने साथ अनिश्चितता, तानाशाही और नाटकीय मोड़ लेकर आया। उस दिन कार्लोस डेलगाडो चालबाउ का अपहरण कर लिया गया और कुछ ही घंटों बाद उनकी हत्या कर दी गई। यह हत्या केवल एक राजनीतिक साजिश नहीं थी, बल्कि उस दौर के वेनेज़ुएला की सत्ता, महत्वाकांक्षा और प्रतिशोध की कहानी भी कहती है।
ऐसा दिन जो एक रहस्यमय और नाटकीय मोड़ लेकर आया। तब देश के तत्कालीन राष्ट्रपति कार्लोस डेलगाडो चालबाउ का अपहरण कर लिया गया और कुछ ही घंटों बाद उनकी हत्या कर दी गई। यह हत्या केवल एक राजनीतिक साजिश नहीं थी, बल्कि उस दौर के वेनेज़ुएला की सत्ता, महत्वाकांक्षा और प्रतिशोध की कहानी भी थी।
कार्लोस चालबाउ का जन्म 20 जनवरी 1909 को पेरिस में हुआ था। उनके पिता, रोमन चालबाउ, वेनेज़ुएला के एक प्रसिद्ध सैन्य अधिकारी थे, जो राष्ट्रपति सिप्रियानो कास्त्रो के करीबी सहयोगी थे। कार्लोस ने फ्रांस में पढ़ाई की और इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की, लेकिन किस्मत ने उन्हें तकनीकी करियर की बजाय राजनीति और सैन्य जीवन की ओर मोड़ दिया। वेनेज़ुएला लौटकर उन्होंने सेना में सेवा शुरू की और जल्द ही अपनी बुद्धिमत्ता और अनुशासन के कारण शीर्ष पद हासिल किया।
1945 में जब देश में लोकतंत्र की बहाली के नाम पर एक सैन्य विद्रोह हुआ, तब चालबाउ ने अहम भूमिका निभाई। इसी विद्रोह के बाद राष्ट्रपति इसाइया मेडिना एंगारीटा को हटा दिया गया और नई अस्थायी सरकार बनी। चालबाउ इस सरकार में एक प्रमुख सैन्य चेहरा थे। 1948 में उन्होंने पुनः सत्ता परिवर्तन में भाग लिया, जिसके बाद मार्कोस पेरेज जिमेनेज के साथ उन्होंने सत्ता संभाली। उन्होंने “हुन्टा दे गोबिएर्नो” यानी सैन्य परिषद का नेतृत्व किया और 1948 से 1950 तक वेनेज़ुएला के डी फैक्टो राष्ट्रपति रहे।
उनका कार्यकाल स्थिरता लाने की कोशिशों से भरा था, लेकिन देश में असंतोष भी बढ़ता गया। एक ओर वे आर्थिक सुधारों पर काम कर रहे थे, तो दूसरी ओर कई राजनीतिक गुट उन्हें एक अवरोध के रूप में देख रहे थे। चालबाउ लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल करना चाहते थे, लेकिन उनके सहयोगी जिमेनेज सत्ता को अपने हाथ में रखना चाहते थे। इस बीच राजनीतिक साजिशों का जाल बुना जाने लगा।
13 नवंबर 1950 को चालबाउ अपने आवास से निकले ही थे कि कुछ हथियारबंद लोगों ने उन्हें जबरदस्ती कार में बैठा लिया। राजधानी काराकस की सड़कों पर अफरा-तफरी मच गई। कुछ घंटों बाद खबर आई कि राष्ट्रपति की गोली मारकर हत्या कर दी गई है। तब वो केवल 41 वर्ष के थे। वेनेज़ुएला शोक में डूब गया, लेकिन रहस्य से अभी पर्दा हटना बाकी था।
हत्या का मुख्य आरोपी कार्लोस पेरेज जिमेनेज का सहयोगी था और उसका नाम था राफेल सिमोन उर्बिना। उसने चालबाउ के साथ पुराने विवाद और राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते यह कदम उठाया था। कहा जाता है कि चालबाउ और उर्बिना के बीच निजी टकराव भी थे। उर्बिना को बाद में सरकारी बलों ने मार गिराया, लेकिन यह रहस्य हमेशा के लिए अधूरा रह गया कि चालबाउ की मौत के पीछे असली साजिशकर्ता कौन था।
उनकी मृत्यु के बाद मार्कोस पेरेज जिमेनेज ने पूर्ण सत्ता अपने हाथों में ले ली और आने वाले वर्षों में वेनेज़ुएला तानाशाही को झेलने वाला देश बन गया । इस तरह चालबाउ की मौत केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि लोकतंत्र की उम्मीदों की भी मृत्यु थी।
आज भी वेनेज़ुएला के इतिहास में कार्लोस डेलगाडो चालबाउ को एक ऐसे नेता के रूप में याद किया जाता है जो अपने आदर्शों और यथार्थ के बीच फंस गए थे। उनकी हत्या आज भी रहस्यमय मानी जाती है, एक ऐसा रहस्य जिसने वेनेज़ुएला की सत्ता की दिशा बदल दी और देश को दशकों तक अस्थिरता में धकेल दिया।
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Created On :   12 Nov 2025 5:50 PM IST












