राष्ट्रीय: बॉम्बे हाईकोर्ट ने चंदा और दीपक कोचर की गिरफ्तारी को 'अवैध' बताया, अंतरिम जमानत की पुष्टि की
मुंबई, 6 फरवरी (आईएएनएस)। बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर और उनके व्यवसायी पति दीपक कोचर की गिरफ्तारी को 'अवैध' करार दिया और 2023 के अंतरिम जमानत आदेश की पुष्टि की।
कोचर दंपति को आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन ऋण धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया गया था और जनवरी 2023 में न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे की पीठ ने उन्हें अंतरिम जमानत का आदेश दिया था।
न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई और न्यायमूर्ति नितिन आर. बोरकर की खंडपीठ ने पिछले महीने सुनवाई पूरी करने और फैसला सुरक्षित रखने के बाद मंगलवार को जनवरी 2023 के अंतरिम जमानत आदेश की पुष्टि की।
पिछले साल न्यायमूर्ति मोहिते-डेरे ने 23 दिसंबर, 2022 को गिरफ्तार किए गए कोचर को अंतरिम जमानत देते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से सवाल किया था कि मामले की जांच में इतना समय क्यों लगा, जबकि एफआईआर 2019 में दर्ज की गई थी। उनकी याचिका लंबित है।
अदालत ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि कोचर की गिरफ्तारियां संबंधित कानूनों के अनुसार नहीं थीं, और जांच शुरू होने के चार साल बाद उन्हें गिरफ्तार करने का कारण गिरफ्तारी समन में "नहीं बताया गया"।
उस समय चंदा कोचर के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने अदालत को सूचित किया था कि उनके मुवक्किल ने सीबीआई के साथ पूरा सहयोग किया था, लेकिन 2022 की पहली छमाही तक तीन साल से अधिक समय तक कोई जांच नहीं हुई। उनकी गिरफ्तारी अवैध थी और सीआरपीसी के प्रावधानों का उल्लंघन था।
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि चंदा कोचर की गिरफ्तारी के समय कोई भी महिला पुलिस अधिकारी मौजूद नहीं थी, जबकि उनके पति एक स्वतंत्र व्यवसायी थे और उन्होंने बैंक से संबंधित कोई भी विवरण उनके साथ साझा नहीं किया था।
सीबीआई के वकील कुलदीप पाटिल ने तर्क दिया कि अंतरिम जमानत आदेश में केवल गिरफ्तारी मेमो पर विचार किया गया था, लेकिन केस डायरी और रिमांड आवेदनों पर नहीं, जो साबित करते थे कि कोचर जांच एजेंसी के साथ सहयोग नहीं कर रहे थे।
सीबीआई ने अंतरिम जमानत आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें एजेंसी को बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष मामले पर बहस करने का निर्देश दिया गया था।
जनवरी 2018 में वीडियोकॉन समूह के प्रमुख वेणुगोपाल धूत द्वारा 2012 में आईसीआईसीआई बैंक से मिली ऋण राशि को कथित तौर पर दीपक कोचर और अन्य के साथ मिलकर बनाई गई कंपनी में स्थानांतरित करने के खुलासे के बाद सीबीआई ने कोचर परिवार के खिलाफ अपनी जांच शुरू की।
कथित अनियमितताएं जून 2009-अक्टूबर 2011 के बीच पांच वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को लगभग 1,575 करोड़ रुपये के छह उच्च-मूल्य वाले ऋण देने से संबंधित थीं, जो कथित तौर पर बैंक की मंजूरी समिति के नियमों और नीति का उल्लंघन था।
बाद में ऋण एनपीए बन गए और अप्रैल 2012 तक आईसीआईसीआई बैंक को 1,730 करोड़ रुपये से अधिक का भारी नुकसान हुआ।
अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|
Created On :   7 Feb 2024 12:23 AM IST