राजनीति: मेघालय में इनर लाइन परमिट की मांग ने पकड़ा जोर

मेघालय में इनर लाइन परमिट की मांग ने पकड़ा जोर
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के लागू होने के बाद मेघालय में इनर लाइन परमिट (आईएलपी) शुरू करने की मांग ने जोर पकड़ लिया है।

शिलांग, 19 मार्च (आईएएनएस)। नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के लागू होने के बाद मेघालय में इनर लाइन परमिट (आईएलपी) शुरू करने की मांग ने जोर पकड़ लिया है।

हालांकि, सीएए इस पहाड़ी राज्य के बड़े इलाके पर लागू नहीं होता है। लेकिन विभिन्न नागरिक समूहों ने घुसपैठियों को आनेे से रोकने के लिए मेघालय में आईएलपी शुरू करने की मांग की है।

हिनीवट्रेप यूथ काउंसिल (एचवाईसी) के अध्यक्ष, रॉय कुपर सिन्रेम ने आईएएनएस को बताया, “आदिवासी क्षेत्रों को सीएए से छूट दिए जाने के बावजूद, तथ्य यह है कि पूरा मेघालय भारत के संविधान की छठी अनुसूची के तहत नहीं है। राज्य की राजधानी शिलांग के कुछ हिस्से अभी भी ऐसे हैं, जहां छठी अनुसूची के नियम लागू नहीं होते हैं। यहां बड़ी संख्या में आप्रवासी आबादी रहती है।

उन्होंने कहा कि अन्य स्थानों पर रहने वाले इन क्षेत्रों में प्रवास कर सकते हैं और फिर सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।

सिन्रेम ने कहा, “हमें इस बात की भी चिंता है कि मेघालय अन्य राज्यों, खासकर असम से आने वालों से प्रभावित होगा। राज्य में यदि लोगों की आवाजाही को नियंत्रित करने वाला कोई कानून नहीं है, तो राज्य में लोगों का अनुचित आगमन हो सकता है।

उनके अनुसार, लोगों के अनुचित आगमन के खिलाफ एकमात्र बचाव मेघालय में सीएए की पूर्ण छूट के साथ-साथ आईएलपी प्रणाली की तत्काल शुरूआत है।

मेघालय में हिनीवट्रेप यूथ काउंसिल (एचवाईसी), जैन्तिया नेशनल काउंसिल (जेएनसी) और कन्फेडरेशन ऑफ री भोई पीपल (सीओआरपी) ने राज्य में आईएलपी लाने के लिए मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा को ज्ञापन सौंपा।

दिसंबर 2019 में संसद में सीएए पारित होने के बाद, मेघालय राज्य विधानसभा ने राज्य में आईएलपी शुरू करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था। हालांकि, मामला अभी भी केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास लंबित है।

पिछले साल अगस्त में मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और आईएलपी की मांग रखी थी। उन्होंने कहा था, ''अपने मूल लोगों की रक्षा के लिए हमें राज्य में आईएलपी की जरूरत है। मैंने प्रधानमंत्री को इस बारे में अवगत कराया है और उन्होंने हमारी चिंता को धैर्यपूर्वक सुना है।''

कई नागरिक निकाय व छात्र संगठन कुछ वर्षों से मेघालय में आईएलपी शुरू करने की मांग कर रहे हैं।

गौरतलब है कि आईएलपी एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज़ है, जो सीमित अवधि के लिए कुछ क्षेत्रों में आवाजाही के लिए जारी किया जाता है। लोगों को पूर्वोत्तर के चार राज्यों-अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, नागालैंड और मणिपुर की यात्रा के लिए आईएलपी की आवश्यकता होती है।

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Created On :   19 March 2024 2:07 PM IST

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