स्वास्थ्य/चिकित्सा: स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है पैकेज्ड फूड शोध

स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है पैकेज्ड फूड  शोध
अगर आप भी पैकेज्ड बेक किए गए सामान और स्नैक्स, फिजी ड्रिंक, शर्करा युक्त अनाज और रेडी टू ईट फूड लेना पसंद करते हैं तो सावधान हो जाएं, क्‍योंक‍ि एक शोध में पता चला है कि यह समय से पहले मौत का खतरा बढ़ा सकता है।

नई दिल्ली, 9 मई (आईएएनएस)। अगर आप भी पैकेज्ड बेक किए गए सामान और स्नैक्स, फिजी ड्रिंक, शर्करा युक्त अनाज और रेडी टू ईट फूड लेना पसंद करते हैं तो सावधान हो जाएं, क्‍योंक‍ि एक शोध में पता चला है कि यह समय से पहले मौत का खतरा बढ़ा सकता है।

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों में अक्सर रंग, इमल्सीफायर, स्वाद के लिए अन्‍य चीजें मिलाई जाती हैं। इसमें आमतौर पर ऊर्जा, अतिरिक्त चीनी, संतृप्त वसा और नमक काफी ज्यादा मात्रा में होता है। लेकिन इसमें विटामिन और फाइबर की कमी होती है। जिसके कारण उन्‍हें कई गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ता है।

इसके चलते लोगों में मोटापा, मधुमेह और उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और कैंसर का खतरा हो सकता है।

शोध के लिए अमेरिका, ब्राजील और चीन सहित शोधकर्ताओं की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने 1984 और 2018 के बीच 11 अमेरिकी प्रांतों की 74,563 पंजीकृत महिला नर्सों के साथ 1986 से 2018 के बीच सभी 50 अमेरिकी प्रांतों के 39,501 पुरुष स्वास्थ्य पेशेवरों के दीर्घकालिक स्वास्थ्य का अध्ययन किया, जिनका कैंसर, हृदय रोग या मधुमेह का कोई इतिहास नहीं था।

परिणामों से पता चला कि प्रति दिन औसतन सात सर्विंग अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ खाने से मौत का खतरा नौ प्रतिशत तक बढ़ जाता है।

इस समूह में प्रतिभागियों के बीच किसी भी कारण से मृत्यु की सालाना दर प्रति एक लाख व्यक्ति 1,536 थी।

इसके अलावा, मांस, पोल्ट्री, और समुद्री खाद्य-आधारित रेडी-टू-ईट उत्पाद खाने से मौत का सबसे अधिक खतरा देखा गया। इसमें चीनी-मीठा और कृत्रिम रूप से मीठे पेय पदार्थ, डेयरी-आधारित डिजर्ट और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड ब्रेकफास्ट शामिल हैं।

शोधकर्ताओं ने कहा, ''हालांकि यह एक अवलोकन अध्ययन है, इसलिए कारण और प्रभाव के बारे में कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है, लेकिन निष्कर्ष दीर्घकालिक स्वास्थ्य के लिए कुछ प्रकार के अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड को कम करने की सलाह देते हैं।''

उन्होंने कहा, "अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के वर्गीकरण में सुधार करने और अन्य आबादी में हमारे निष्कर्षों की पुष्टि करने के लिए भविष्य के अध्ययनों की आवश्यकता है।"

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Created On :   9 May 2024 2:41 PM IST

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