अपराध: कोमुल भर्ती घोटाले में कांग्रेस विधायक की बढ़ीं मुश्किलें, ईडी ने संपत्ति की कुर्की का दिया आदेश

बेंगलुरु, 17 जुलाई (आईएएनएस)। कोलार-चिक्काबल्लापुर जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड (कोमुल) भर्ती घोटाले 2023 से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की। ईडी के बेंगलुरु जोनल ऑफिस ने बुधवार को मालूर से कांग्रेस विधायक केवाई नानजेगौड़ा और अन्य की 1.32 करोड़ रुपए मूल्य की चल और अचल संपत्तियों की कुर्की का अनंतिम आदेश जारी किया।
ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के तहत कोलार जिले में स्थित मालूर तालुक में लैंड ग्रांट स्कीम की जांच और तलाशी के दौरान एकत्रित सामग्री के आधार पर विधायक केवाई नानजेगौड़ा और अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है।
जांच एजेंसी ने इस संबंध में लोकायुक्त पुलिस को भी संदर्भ दिया है और उक्त घोटाले को दर्ज करने के अपने प्रयासों में सांसद-विधायक मामलों के परीक्षण के लिए विशेष न्यायालय (एमपी-एमएलए कोर्ट) के समक्ष शिकायत दर्ज की।
ईडी की जांच में पता चला है कि कोमुल द्वारा वर्ष 2023 में आयोजित भर्ती प्रक्रिया में पैसे या राजनीतिक व्यक्तियों की सिफारिश पर हेराफेरी की गई थी। इस भर्ती प्रक्रिया में लिखित परीक्षा और साक्षात्कार शामिल थे। कोमुल के अध्यक्ष और विधायक केवाई नानजेगौड़ा एवं कोमुल के प्रबंध निदेशक केएन गोपाल मूर्ति के नेतृत्व में भर्ती समिति ने कोमुल के अन्य निदेशकों के साथ मिलकर एक साजिश रची और कम योग्य उम्मीदवारों को लाभ पहुंचाया गया और योग्य उम्मीदवारों को वंचित रखा गया।
सर्च अभियान के दौरान समानांतर ओएमआर शीट (मूल और छेड़छाड़ की गई) के रूप में मिले। जब्त किए गए सबूत में कुछ उम्मीदवारों की सिफारिश करने वाले राजनेताओं से प्राप्त व्हाट्सऐप मैसेज केवाई नानजेगौड़ा और अन्य निदेशकों द्वारा कोलुम के कर्मचारियों को भेजे गए। कोमुल और मैंगलोर विश्वविद्यालय के स्तर पर पूरी भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता मिली।
लिखित परीक्षा और साक्षात्कार में गड़बड़ी कर उम्मीदवारों से कोमुल भर्ती 2023 में उनके चयन का आश्वासन देकर स्वीकार किए गए मौद्रिक लाभ के बदले में 1,56,50,000 रुपए की आपराधिक आय अर्जित की गई। इस स्कैम में केवाई नानजेगौड़ा मुख्य आरोपी हैं, जिन्होंने कोमुल के अध्यक्ष के रूप में अपनी भूमिका का लाभ उठाकर समग्र भर्ती को नियंत्रित किया। बयानों और साक्ष्यों से संकेत मिलता है कि उन्होंने 'आरक्षित सीटों' की संख्या तय करने, रिश्वत कैसे एकत्र की जाए, इसकी योजना बनाने और लिखित परीक्षा की ओएमआर शीट एवं साक्षात्कार के अंकों में हेराफेरी करने के निर्देश देने में अग्रणी भूमिका निभाई, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अनुशंसित या भुगतान करने वाले उम्मीदवारों का चयन हो। इस प्रकार उन्होंने अवैध रूप से कुल 1.56 करोड़ रुपए की आय में से 80 लाख रुपए खुद लिए।
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Created On :   17 July 2025 7:04 PM IST