मुंबई में कई स्थानों पर ईडी ने की छापेमारी

मुंबई में कई स्थानों पर ईडी ने की छापेमारी
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में मुंबई के कई ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई मेसर्स वरेनियम क्लाउड लिमिटेड, इसके प्रमोटर हर्षवर्धन सबले और उससे जुड़ी कंपनियों के खिलाफ चल रही जांच का हिस्सा है।

मुंबई, 4 नवंबर (आईएएनएस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में मुंबई के कई ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई मेसर्स वरेनियम क्लाउड लिमिटेड, इसके प्रमोटर हर्षवर्धन सबले और उससे जुड़ी कंपनियों के खिलाफ चल रही जांच का हिस्सा है।

ईडी की मुख्यालय जांच इकाई, नई दिल्ली, ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत 29 अक्टूबर 2025 को यह तलाशी अभियान चलाया। विश्वसनीय सूचनाओं से पता चला कि कंपनी ने वित्तीय रिकॉर्ड में बड़े स्तर पर हेराफेरी की।

जानकारी के अनुसार, कंपनी और उसकी सहयोगी इकाइयों ने सितंबर 2022 में आईपीओ के जरिए करीब 40 करोड़ रुपए जुटाए थे। उन्होंने निवेशकों को लुभाने के लिए दावा किया कि यह पैसा छोटे शहरों में एज डेटा सेंटर और डिजिटल लर्निंग सेंटर बनाने में लगेगा। खुद को डिजिटल मीडिया, ब्लॉकचेन और एडटेक क्षेत्र की तेजी से बढ़ती टेक्नोलॉजी कंपनी बताया गया। लेकिन, ये सारे वादे हवा-हवाई साबित हुए। कोई प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं उतरा।

जानकारी के अनुसार, फंड को दूसरे रास्तों पर मोड़ दिया गया। टर्नओवर और बाजार मूल्य दिखाने के लिए झूठे लेन-देन और पैसों का गोला बनाया गया। शेयर बाजार में पहले कीमतें कृत्रिम तरीके से चढ़ाई गईं और फिर भारी बिक्री कर दी गई। यह एक सुनियोजित पंप एंड डंप स्कीम थी, जिसमें भ्रामक बातों से शेयरों को चमकाया जाता है और ऊंचे दाम पर बेचकर निवेशकों को ठग लिया जाता है। नतीजा यह हुआ कि आम लोग धोखे में आए और निवेशकों का पैसा डूब गया।

ईडी छापेमारी के दौरान मिले दस्तावेज ने साजिश की गहराई उजागर कर दी। फर्जी केवाईसी दस्तावेज और डमी सिम कार्ड से खुले सैकड़ों बैंक खातों का जाल मुंबई से ही चल रहा था। तलाशी में चार सौ से ज्यादा चेकबुक बरामद हुईं। 100 से अधिक डुअल सिम मोबाइल फोन मिले, जिनमें दो सौ से ज्यादा सिम कार्ड थे और ज्यादातर मुंबई के लोगों के नाम पर जारी किए गए थे।

इसके अलावा, लैपटॉप और हार्ड ड्राइव जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी जब्त किए गए, जिनमें सबूत भरे पड़े हैं। यह सारा खेल मुंबई के छोटे-छोटे कमरों से चल रहा था, जहां ड्रॉअर कंपनियां बनाई जाती थीं। फर्जी पहचान पत्र, ढेर सारे बैंक खाते और प्रॉक्सी फोन का इस्तेमाल करके लोगों को ठगने का धंधा व्यवस्थित तरीके से चलाया जा रहा था।

ईडी ने कई अन्य संदिग्ध व्यक्तियों और संस्थाओं को चिह्नित किया है, जिनकी जांच चल रही है। यह मामला निवेशकों के लिए चेतावनी है कि चमकदार वादों पर भरोसा करने से पहले सावधानी बरतें। पूरी साजिश का पर्दाफाश होने पर और नाम सामने आ सकते हैं। ईडी की जांच जारी है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई तय है।

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Created On :   4 Nov 2025 11:51 PM IST

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