अर्थव्यवस्था: भविष्य के सुधारों में एमएसएमई, ऊर्जा सुरक्षा के लिए अनुपालन बोझ को कम करना शामिल है : वित्त मंत्रालय

भविष्य के सुधारों में एमएसएमई, ऊर्जा सुरक्षा के लिए अनुपालन बोझ को कम करना शामिल है : वित्त मंत्रालय
वित्त मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि भविष्य के सुधारों के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में कौशल, सीखने के परिणाम, स्वास्थ्य, ऊर्जा सुरक्षा, एमएसएमई के लिए अनुपालन बोझ में कमी और श्रम बल में लिंग संतुलन शामिल हैं।

नई दिल्ली, 29 जनवरी (आईएएनएस)। वित्त मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि भविष्य के सुधारों के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में कौशल, सीखने के परिणाम, स्वास्थ्य, ऊर्जा सुरक्षा, एमएसएमई के लिए अनुपालन बोझ में कमी और श्रम बल में लिंग संतुलन शामिल हैं।

मंत्रालय ने अंतरिम बजट (1 फरवरी) से कुछ ही दिन पहले भारतीय अर्थव्यवस्था की समीक्षा में कहा कि मुद्रास्फीति के अंतर और विनिमय दर के संबंध में उचित धारणाओं के तहत भारत अगले छह से सात वर्ष (2030 तक) में 7 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की आकांक्षा कर सकता है।

यह जीवन की गुणवत्ता और जीवनस्तर प्रदान करने की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा जो भारतीय लोगों की आकांक्षाओं से मेल खाता है और उससे भी अधिक है।

वित्तीय क्षेत्र और अन्य हालिया और भविष्य के संरचनात्मक सुधारों के बल पर भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए आने वाले वर्षों में 7 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ना बेहद संभव है।

केवल भूराजनीतिक संघर्षों का बढ़ा जोखिम ही चिंता का विषय है। समीक्षा में कहा गया है कि हालांकि, 2030 तक विकास दर 7 प्रतिशत से ऊपर जाने की काफी गुंजाइश है।

जिस गति से भौतिक बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जा रहा है, उससे आईसीओआर में गिरावट आएगी, जिससे निजी निवेश तेजी से उत्पादन में बदल जाएगा। आईबीसी ने बैलेंस शीट को मजबूत किया है और इस प्रक्रिया में, आर्थिक पूंजी को मुक्त कर दिया है जो अन्यथा अनुत्पादक हो गई थी।

तेजी से बढ़ता डिजिटल बुनियादी ढांचा संस्थागत दक्षता में लगातार सुधार कर रहा है। साथ ही, वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में विदेशी भागीदारों के साथ बढ़ते सहयोग के साथ तकनीकी प्रगति भी गति पकड़ रही है।

मानव पूंजी निर्माण में तेजी लाने के लिए निर्णायक कदम उठाए गए हैं। अंत में, व्यापार करने में आसानी में निरंतर वृद्धि के साथ समग्र निवेश माहौल तेजी से अनुकूल होता जा रहा है।

जीएसटी को अपनाने से घरेलू बाजारों का एकीकरण बड़े पैमाने पर उत्पादन को प्रोत्साहित करता है, जबकि लॉजिस्टिक लागत कम हो जाती है। जीएसटी द्वारा कर आधार का विस्तार केंद्र और राज्य सरकारों के वित्त को मजबूत करेगा, जिससे सार्वजनिक व्यय में वृद्धि होगी।

मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने में आरबीआई की बढ़ती विश्‍वसनीयता मुद्रास्फीति की उम्मीदों पर अंकुश लगाएगी, जिससे व्यवसायों और जनता को क्रमशः दीर्घकालिक निवेश और व्यय निर्णय लेने के लिए एक स्थिर ब्याज दर का माहौल मिलेगा।

(संजीव शर्मा से sanjeev.s@ians.in पर संपर्क किया जा सकता है)

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Created On :   29 Jan 2024 11:15 PM IST

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