राजनीति: मोदी सरकार ने यूपीए काल में दी गई वक्फ को असीम शक्तियों को रद्द करने की बनाई योजना, जानें विस्तार से

मोदी सरकार ने यूपीए काल में दी गई वक्फ को असीम शक्तियों को रद्द करने की बनाई योजना, जानें विस्तार से
देश में लंबे समय से वक्फ बोर्ड की असीमित अधिकारों को कम करने की मांग को लेकर एनडीए सरकार एक नया फैसला लेने को तैयार है। नरेंद्र मोदी की सरकार वक्फ बोर्ड एक्ट को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला लेने की तैयारी में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार मौजूदा वक्फ अधिनियम में संशोधन करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

नई दिल्ली, 4 अगस्त (आईएएनएस)। देश में लंबे समय से वक्फ बोर्ड की असीमित अधिकारों को कम करने की मांग को लेकर एनडीए सरकार एक नया फैसला लेने को तैयार है। नरेंद्र मोदी की सरकार वक्फ बोर्ड एक्ट को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला लेने की तैयारी में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार मौजूदा वक्फ अधिनियम में संशोधन करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

जिसके जरिए संपत्तियों को 'वक्फ परिसंपत्तियों' के रूप में हस्तांतरित करने को प्रतिबंधित करने और वक्फ बोर्ड की व्यापक शक्तियों पर नियंत्रण करने का लक्ष्य है। सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि कैबिनेट ने शुक्रवार को इस अधिनियम में लगभग 40 संशोधनों को मंजूरी दे दी है, इसमें प्रस्तावित बदलाव वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को "वक्फ संपत्ति" के रूप में नामित करने की शक्ति को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।

इस बिल को अगले हफ्ते संसद में पेश किये जाने की उम्मीद है। सूत्रों ने कहा कि अगर यह पारित हो जाता है, यह भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और हस्तांतरण में एक बड़े बदलाव को दर्शाएगा, जिसके जरिए अन्य इस्लामी देशों में वक्फ बोर्ड के पास जो ताकत है उसके हिसाब से यह काम कर पाएगा। दुनिया के किसी भी देश में वक्फ बोर्ड के पास इतनी व्यापक शक्तियां नहीं हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस विधेयक को अक्टूबर में होने वाले हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों से ठीक पहले पेश किया जाना तय किया गया है।

वक्फ बोर्ड के असीमित अधिकारों में इस विधेयक के जरिए परिवर्तन के साथ, सरकार का लक्ष्य मौजूदा वक्फ अधिनियम के कई प्रावधानों को निरस्त करना है। वास्तव में, सरकार का इस विधेयक के जरिए प्रथम लक्ष्य वक्फ बोर्ड की मनमानी शक्तियों पर अंकुश लगाना है, जो वर्तमान में उन्हें अनिवार्य सत्यापन के बिना किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने में ताकत देती है।

अभी जो वक्फ बोर्ड अधिनियम मौजूद है उसमें लगभग 40 संशोधन प्रस्तावित हैं। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों की मानें, यदि विधेयक पारित होता है, तो वक्फ बोर्डों द्वारा किए गए सभी दावों को अनिवार्य और पारदर्शी सत्यापन की आवश्यकता होगी। इसके अतिरिक्त, धारा 9 और 14 में संशोधन के जरिए महिलाओं के प्रतिनिधित्व को वक्फ बोर्डों की संरचना और संचालन में शामिल किया जाएगा। विवादों के समाधान के लिए बोर्ड द्वारा दावा की गई संपत्तियों का नए सिरे से सत्यापन किया जाएगा। इन संशोधनों के जरिए मुख्य रूस से वक्फ बोर्ड के असीमित अधिकारों के द्वारा हो रहे दुरुपयोग पर रोक लगाना है।

सूत्रों ने संकेत दिया कि वक्फ बोर्डों की मनमानी शक्तियों को लेकर सरकार की चिंता बढ़ी हुई थी जिसके लिए सरकार ने अब इस संशोधन का फैसला लिया है। वक्फ बोर्ड के अधिकार इतने व्यापक हैं कि वह किसी भी भूमि के हिस्से को वक्फ संपत्तियों के रूप में नामित करने में सक्षम है, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर विवाद होता है और असीमित अधिकारों के दुरुपयोग का आरोप लगता रहता है।

वक्फ अधिनियम, 1995 के अनुसार वह व्यक्ति जो मुस्लिम है वह अपनी संपत्ति वक्फ बोर्ड को दान दे सकता है। और बोर्ड उस संपत्ति को 'औकाफ' (दान की गई और वक्फ के रूप में अधिसूचित संपत्ति) को नियंत्रित करता है। यूपीए सरकार के तहत 2013 में किए गए संशोधनों ने वक्फ बोर्डों को अधिक व्यापक शक्तियां प्रदान की और तब से यह विवाद का कारण बन गया है।

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Created On :   4 Aug 2024 6:14 PM IST

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