आईआईटी और एम्स जोधपुर का नया एआई मॉडल फोटो से भी चलेगा कुपोषण का पता

नई दिल्ली, 24 सितंबर (आईएएनएस)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जोधपुर के शोधकर्ताओं ने बच्चों में कुपोषण की बेहतर पहचान के लिए एआई का इस्तेमाल किया है।
इस नए मेथड की जानकारी ओपन-एक्सेस जर्नल एमआईसीसीएआई में दी गई है। कुपोषित बच्चों की समस्या वैश्विक स्तर पर सबसे गंभीर स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों में से एक है और ये विधि उसका सटीक आकलन करती है।
अध्ययन में डोमेनएडेप्ट (एक नवीन बहु-कार्य शिक्षण ढांचा) से डोमेन ज्ञान और पारस्परिक सूचना का उपयोग करके कार्यभार को गतिशील रूप से समायोजित करता है।
इससे यह प्रणाली बच्चे की ऊंचाई, वजन और मध्य-ऊपरी भुजा परिधि (एमयूएसी) जैसे प्रमुख एंथ्रोपोमेट्री (मानवमितीय) मापों का अधिक सटीक रूप से अनुमान लगा सकती है, साथ ही कुपोषण संबंधी स्थितियों जैसे बौनेपन, दुर्बलता और कम वजन का वर्गीकरण भी कर सकती है।
यद्यपि इन मापों का मूल्यांकन पारंपरिक जांच विधियों का उपयोग करके भी किया जाता है, फिर भी ये उपयोगकर्ता के सामने विभिन्न चुनौतियां प्रस्तुत करते हैं। प्रत्येक पहलू को एक-एक करके मापने में समय लगता है।
अध्ययन का नेतृत्व करने वाले आईआईटी-एम्स में चिकित्सा प्रौद्योगिकी से डॉक्टरेट कर रहे मिसाल खान ने बताया, "केवल एक बच्चे की तस्वीरें लेकर, हम इस विधि से जटिल और समय लेने वाले एंथ्रोपोमेट्रिक मापों की आवश्यकता के बिना पोषण संबंधी स्थिति का अनुमान लगा सकते हैं।"
खान ने आगे कहा, "इससे खासकर सीमित संसाधनों वाले क्षेत्रों में कुपोषण की जांच तेज, अधिक सुलभ और अत्यधिक मापी जाने वाली होगी।"
इस शोध की आधारशिला एंथ्रोविजन है। ये अपनी तरह का एक अनूठा डेटासेट है जिसमें 2,141 बच्चों की 16,938 मल्टी-पोज तस्वीरें शामिल हैं, जिन्हें क्लिनिकल (एम्स जोधपुर) और सामुदायिक (राजस्थान के सरकारी स्कूल) दोनों जगहों से एकत्र किया गया है।
कठोर प्रयोगों के माध्यम से, डोमेनएडेप्ट ने मौजूदा मल्टीटास्क लर्निंग विधियों की तुलना में महत्वपूर्ण सुधार किया है और दुनिया भर में कुपोषण का पता लगाने में तेजी लाने के लिए एक विश्वसनीय एआई-संचालित समाधान प्रदान किया है।
खान ने कहा, "यह शोध समान हेल्थकेयर पहुंच की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।"
उन्होंने आगे कहा, "एआई और डोमेन विशेषज्ञता को मिलाकर, हम स्वास्थ्य सेवा कर्मियों और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों को ऐसे उपकरणों से सशक्त बना सकते हैं जो किफायती, सटीक और मापनीय हों।"
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Created On :   24 Sept 2025 2:04 PM IST