जेन-जेड प्रोटेस्ट के बाद भारत-नेपाल के बीच पहली बातचीत आज, सीमा सुरक्षा और अपराध पर हो सकती वार्ता
नई दिल्ली, 12 नवंबर (आईएएनएस)। नेपाल में जेन जेड के हिंसक विरोध प्रदर्शन के जरिए केपी ओली की सरकार गिरने के बाद पहली बार भारत और नेपाल के बीच उच्च स्तरीय वार्ता होने वाली है। दोनों देशों के सीमा सुरक्षा बलों के प्रमुख बुधवार से अपनी वार्षिक समन्वय बैठक आयोजित करने वाले हैं। इसमें सीमा पार अपराधों पर अंकुश लगाने और वास्तविक समय में खुफिया जानकारी साझा करने में सुधार लाने के मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
बता दें, केपी ओली की सरकार को गिराने के लिए सितंबर में काठमांडू में 'जनरेशन जेड' के नेतृत्व में हिंसक विरोध प्रदर्शन किया गया। इस हिंसक प्रदर्शन में कई लोगों की मौत हो गई, वहीं संपत्ति का भी भारी नुकसान हुआ। ऐसे में भारत के सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) और नेपाल के सशस्त्र पुलिस बल (एपीएफ) के बीच यह पहली उच्च-स्तरीय बातचीत होगी।
सरकार के अनुसार, हिंसक प्रदर्शन में सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को हुए नुकसान का अनुमान 100 अरब नेपाली रुपये से अधिक है, जबकि निजी क्षेत्र ने प्रारंभिक आकलन में 80 अरब नेपाली रुपये से अधिक का नुकसान बताया है।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, 9वीं वार्षिक समन्वय बैठक 12 से 14 नवंबर तक होगी, जिसमें एसएसबी और एपीएफ बातचीत करेंगे। एसएसबी के महानिदेशक संजय सिंघल भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे और एपीएफ महानिरीक्षक राजू आर्यल नेपाल का प्रतिनिधित्व करेंगे।
इस सिलसिले में एसएसबी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि दोनों देशों के बीच सीमा पार अपराधों को रोकने के लिए प्रभावी संयुक्त तंत्र बनाने, वास्तविक समय में सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए तेज और अधिक विश्वसनीय प्रणालियां स्थापित करने और भारत-नेपाल सीमा पर शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए समन्वित सीमा प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ाने को लेकर चर्चा किए जाने की उम्मीद है।
इससे पहले नवंबर 2024 में दोनों पक्षों के बीच काठमांडू में बैठक हुई थी। बता दें, एसएसबी गृह मंत्रालय के अधीन काम करता है। भारत और नेपाल की सीमा 1,751 किलोमीटर लंबी, खुली और बिना बाड़ वाली है। एसएसबी इसकी सुरक्षा करता है। इसके साथ ही एसएसबी भारत-भूटान बॉर्डर पर भी सुरक्षा करता है। भारत और भूटान बॉर्डर 699 किलोमीटर लंबी है।
बता दें, नेपाल में अगले साल आम चुनाव होने हैं। ऐसे में नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने अक्टूबर की शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आश्वासन दिया था कि वर्तमान प्रशासन अगले छह महीनों के भीतर अगला संसदीय चुनाव कराने और निर्वाचित सरकार को सत्ता सौंपने के लिए प्रतिबद्ध है।
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Created On :   12 Nov 2025 9:19 AM IST












