भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 2025 में 7 प्रतिशत रहने का अनुमान मूडीज

भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 2025 में 7 प्रतिशत रहने का अनुमान  मूडीज
भारत की दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े जारी होने से पहले रेटिंग एजेंसी मूडीज ने शुक्रवार को कहा कि 2025 में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 7 प्रतिशत रह सकती है और 2026 में इसके 6.4 प्रतिशत से बढ़ने का अनुमान है।

नई दिल्ली, 28 नवंबर (आईएएनएस)। भारत की दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े जारी होने से पहले रेटिंग एजेंसी मूडीज ने शुक्रवार को कहा कि 2025 में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 7 प्रतिशत रह सकती है और 2026 में इसके 6.4 प्रतिशत से बढ़ने का अनुमान है।

भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी की वजह घरेलू मांग में वृद्धि और अर्थव्यवस्था का आधार मजबूत होना है।

मूडीज रेटिंग की ओर से जारी नोट में कहा गया कि भारत आने वाले समय में उभरते हुए बाजारों और एशिया प्रशांत क्षेत्र में ग्रोथ को लीड करेगा। 2025 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7 प्रतिशत और 2026 में 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

वैश्विक रेटिंग एजेंसी ने कहा कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में 2025 में औसत वृद्धि दर 3.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है और 2026 में यह 3.4 प्रतिशत रह सकती है।

रेटिंग एजेंसी के मुताबिक, उभरते हुए बाजार रीजन में जीडीपी ग्रोथ को आगे बढ़ाएंगे और इन बाजारों की औसत वृद्धि दर 5.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

सितंबर में, मूडीज रेटिंग्स ने भारत की लॉन्ग टर्म लोकल और फॉरेन करेंसी इश्यूअर रेटिंग और लोकल करेंसी सीनियर अनसिक्योर्ड रेटिंग को बीएए3 पर बरकरार रखा। वैश्विक रेटिंग एजेंसी ने भारत के लिए अपने दृष्टिकोण को भी स्थिर बनाए रखा है।

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि अमेरिका द्वारा भारत पर उच्च टैरिफ लगाने से निकट भविष्य में भारत की आर्थिक वृद्धि पर सीमित नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

रेटिंग एजेंसी ने कहा, "टैरिफ मध्यम से लंबी अवधि में संभावित विकास को बाधित कर सकता है, क्योंकि इससे भारत की उच्च मूल्यवर्धित निर्यात विनिर्माण क्षेत्र विकसित करने की महत्वाकांक्षाओं में बाधा आ सकती है।"

नोट के अनुसार, भारत की ऋण क्षमता, राजकोषीय पक्ष की दीर्घकालिक कमजोरियों से संतुलित है, जो बनी रहेंगी। मजबूत जीडीपी वृद्धि और क्रमिक राजकोषीय समेकन से सरकार के उच्च ऋण भार में बहुत ही कम क्रमिक कमी आएगी और यह कमजोर ऋण वहन क्षमता में वास्तविक सुधार लाने के लिए पर्याप्त नहीं होगा, खासकर जब निजी उपभोग को बढ़ावा देने के हालिया राजकोषीय उपायों ने सरकार के राजस्व आधार को कमजोर कर दिया है।

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Created On :   28 Nov 2025 2:14 PM IST

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