असम को एसआईआर से बाहर रखना भाजपा की अपने शासित राज्य को बचाने की चाल अभिषेक बनर्जी

असम को एसआईआर से बाहर रखना भाजपा की अपने शासित राज्य को बचाने की चाल अभिषेक बनर्जी
तृणमूल कांग्रेस के महासचिव और लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी ने मंगलवार को असम को मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दायरे से बाहर रखने के चुनाव आयोग के फैसले पर सवाल उठाया। वहीं, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल की तरह इस पूर्वोत्तर राज्य में भी अगले साल चुनाव होने हैं।

कोलकाता, 28 अक्टूबर (आईएएनएस)। तृणमूल कांग्रेस के महासचिव और लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी ने मंगलवार को असम को मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दायरे से बाहर रखने के चुनाव आयोग के फैसले पर सवाल उठाया। वहीं, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल की तरह इस पूर्वोत्तर राज्य में भी अगले साल चुनाव होने हैं।

बनर्जी ने मंगलवार को कोलकाता में मीडियाकर्मियों से कहा कि असम में भी अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और वह राज्य अंतरराष्ट्रीय सीमाएं भी साझा करता है। लेकिन असम को एसआईआर के दायरे से बाहर क्यों रखा गया है? यह स्पष्ट रूप से भाजपा द्वारा अपने शासित राज्य को पुनरीक्षण प्रक्रिया से बाहर रखने की एक चाल है।

राज्य भाजपा नेतृत्व ने इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि तृणमूल नेता की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को ही असम को एसआईआर प्रक्रिया से बाहर रखने के कारणों को स्पष्ट कर दिया था।

बनर्जी ने आगे आरोप लगाया कि जहां पहले नागरिक सरकार चुनते थे, वहीं केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी इस प्रक्रिया को उलटने की कोशिश कर रही है "ताकि सरकार अपने मतदाता चुन सके।"

उन्होंने कहा, "उनका उद्देश्य मतदाता सूची को त्रुटि-मुक्त बनाना नहीं है। वास्तव में, एसआईआर का अर्थ है 'साइलेंट इनविज़िबल रिगिंग'। पिछली बार जब पश्चिम बंगाल में ऐसा संशोधन किया गया था, तो इसे पूरा होने में लगभग दो साल लग गए थे। अब, वे दावा कर रहे हैं कि यह केवल दो महीनों में पूरा हो जाएगा।"

टीएमसी नेता ने दावा किया कि यदि वास्तविक उद्देश्य त्रुटि-मुक्त मतदाता सूची तैयार करना है, तो संशोधन पर्याप्त समय में किया जाना चाहिए, जल्दबाजी में नहीं। बनर्जी ने आरोप लगाया कि असली इरादा संशोधन की आड़ में सूची से वास्तविक मतदाताओं के नाम हटाना है।

उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि एसआईआर प्रक्रिया के बाद वास्तविक मतदाताओं के नाम हटाए गए, तो टीएमसी नई दिल्ली स्थित भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू करेगी।

उत्तर 24 परगना जिले के पानीहाटी में प्रदीप कर नामक 57 वर्षीय व्यक्ति द्वारा हाल ही में की गई आत्महत्या का हवाला देते हुए बनर्जी ने नागरिकों में दहशत पैदा करने के लिए केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को दोषी ठहराया। प्रदीप कर ने कथित तौर पर पश्चिम बंगाल में संभावित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) से प्रभावित होने के डर से आत्महत्या कर ली गई थी।

बनर्जी ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार हैं। उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए। भाजपा को इसकी कीमत चुकानी होगी।

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Created On :   29 Oct 2025 12:00 AM IST

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