25 वर्ष बाद भी जनमानस के लिए हैं स्मरणीय महंत महेंद्रनाथ महाराज के कार्यः मुख्यमंत्री योगी
बलरामपुर, 10 नवंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महंत महेंद्रनाथ जी महाराज ने लंबे समय तक शक्तिपीठ देवीपाटन की सेवा की। गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ के सानिध्य व निर्देशन में वे मंदिर और इस क्षेत्र के विकास के लिए योगदान देते रहे। संत व योगी के रूप में उनके द्वारा किए गए कार्य 25 वर्ष के बाद भी जनमानस के लिए स्मरणीय बने हुए हैं।
उन्होंने 25 वर्ष पहले जिन कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया था, वे मूर्त रूप लेते हुए बढ़ रहे हैं। मंदिर के भौतिक विकास, मंदिर परिसर के अंदर जनसुविधाओं के विकास, और मंदिर द्वारा संचालित होने वाले सेवा के विभिन्न प्रकल्प तेजी के साथ आगे बढ़े हैं। मुख्यमंत्री व गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ बलरामपुर में सोमवार को ब्रह्मलीन महंत योगी महेंद्रनाथ जी महाराज की 25वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे। इस अवसर पर यहां श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया है।
सीएम योगी ने व्यास पीठ को नमन किया और कथा व्यास संत बालकदास जी महाराज का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत ज्ञान, भक्ति और वैराग्य की भी कथा है। वैराग्य का आशय स्वार्थ से ऊपर उठकर ईमानदारी से कर्तव्यों का निर्वहन करना है। राष्ट्र, समाज, देश व धर्म के लिए समर्पण का भाव श्रीमद्भागवत कथा हमें सदैव प्रेरणा देती रही है।
उन्होंने कहा कि किसी भी धर्मस्थल का प्राथमिक दायित्व होता है कि वह समाज की आस्था का प्रतीक बने और अपनी सेवा के माध्यम से लोककल्याण, जनकल्याण का मजबूत केंद्र बनकर उभरे। देवीपाटन मंदिर 35-40 वर्ष पहले केवल मंदिर तक सीमित था। धर्मशाला भी टूटी हुई थी। अन्य जनसुविधाएं भी नहीं थीं। श्रद्धालुओं को अनेक कठिनाई होती थी। जिस मंदिर के पास स्वयं की सुविधा न हो, वह अन्य कार्यक्रम क्या आगे बढ़ाता? आज यहां श्रद्धालु व आगंतुक निःशुल्क प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं। मंदिर परिसर में धर्मशाला, यात्री विश्रामालय व गोसेवा के कार्यक्रम चल रहे हैं। मंदिर परिसर में थारू जनजाति से जुड़े छात्रों के लिए उत्तम छात्रावास का निर्माण और उनके पठन-पाठन की व्यवस्था मंदिर द्वारा संचालित सीबीएसई बोर्ड के विद्यालय में की जाती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि थारू जनजाति के लिए बनाए गए छात्रावास को 1994 में प्रारंभ किया गया था। पिछले 31 वर्षों से इस छात्रावास से निकले छात्र समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करते हुए राष्ट्र निर्माण में योगदान दे रहे हैं। भारत और नेपाल की सीमा की संवेदनशीलता सर्वविदित है। इन क्षेत्रों में थारू बाहुल्य गांव हैं। यह उपेक्षित पड़े हुए थे। वहां कनेक्टिविटी, जनसुविधा, और स्कूल नहीं थे। 1994 में उन बच्चों को लाकर मठ-मंदिर परिसर में लाकर व्यवस्था की गई और अतिउत्तम छात्रावास के माध्यम से इन बच्चों के लिए उत्तम शिक्षा की व्यवस्था की गई।
सीएम योगी ने कहा कि धार्मिक संस्था केवल आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि राष्ट्रीयता की प्रेरणा के केंद्रबिंदु बन सकते हैं। संस्था द्वारा यह कार्य किया गया। यहां पर मां पाटेश्वरी के नाम पर सीबीएसई बोर्ड का विद्यालय संचालित हो रहा है। यहां कस्बे और अगल-बगल के गांव के बच्चे भी आकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। सीमावर्ती क्षेत्र में धर्मस्थल जागरूक बनकर अपने उत्तरादायित्वों का निर्वहन करे तो इससे बढ़कर कोई कार्य नहीं हो सकता। हमें याद रखना होगा कि धर्म का मतलब केवल उपासना विधि, पूजा पाठ, आस्था नहीं होती। भारतीय दर्शन के अनुसार इसकी परिभाषा को जानने का प्रयास करेंगे तो पता चलेगा कि इस लोक में जो भौतिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विकास का मार्ग प्रशस्त करे तथा परलोक के लिए मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर सके, वह व्यवस्था ही धर्म है। भौतिक विकास का मार्ग बिना कर्तव्य निर्वहन के नहीं हो सकता। जब प्रत्येक व्यक्ति कर्तव्यों का निर्वहन करे तो वही दायित्व बनता है। उसी दायित्व का निर्वहन करते हुए हम आगे बढ़ते हैं तो देश मजबूत होता है।
सीएम योगी ने कहा कि यह वर्ष देश के लिए अत्यंत सौभाग्यशाली है, क्योंकि भारत की अखंडता के प्रतीक लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के 150 वर्ष पूर्ण हुए हैं। भारत का राष्ट्रगीत वंदे मातरम भी 150वें वर्ष में पहुंच गया है। यह धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती का 150वां वर्ष है। बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबडेकर द्वारा जिस संविधान की ड्रॉफ्टिंग की गई थी, उसके 75 वर्ष पूर्ण हुए हैं। यह उसके अमृत महोत्सव का भी वर्ष है। इसी वर्ष में प्रयागराज महाकुम्भ भी हुआ।
उन्होंने लौहपुरुष का जिक्र करते हुए कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने दो बातें कहीं थीं- देश की स्वाधीनता का मतलब मात्र आजाद होना नहीं है। देश की स्वाधीनता को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए हर नागरिक को अपने राष्ट्रीय दायित्व का भी अहसास होना चाहिए। उसके निर्वहन के लिए खुद को तैयार रखना होगा। उन्होंने कहा कि जिस देश का युवा जागृत और राष्ट्रीय चेतना से ओतप्रोत होता है, उस राष्ट्र को दुनिया की कोई ताकत गुलाम नहीं बना सकती। दोनों बातें हर देश, काल, और परिस्थिति में प्रासंगिक बनी हैं।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रगीत वंदे मातरम भारत माता की वंदना का गीत है। भारत माता को साक्षात देवी (मां दुर्गा, मां लक्ष्मी, मां सरस्वती) की प्रतिमूर्ति के रूप में स्थापित करते हुए वंदना की गई है। यह राष्ट्रमाता के प्रति हमारे दायित्व के निर्वहन के प्रति आग्रही बनाता है। यह गीत भारत की आजादी और भारत को एकता के सूत्र में बांधने वाला मंत्र बना था। भारत का हर क्रांतिकारी, स्वाधीनता संग्राम सेनानी वंदे मातरम गाते-गाते फांसी के फंदे को चूम लेता था, लेकिन वह कभी भी विदेशी हुकूमत के सामने नतमस्तक नहीं हुआ। भगवान बिरसा मुंडा ने विदेशी हुकूमत से भारत की दासता को मुक्त करने के लिए बलिदान दिया था। भगवान बिरसा मुंडा के योगदान को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 नवंबर की तिथि को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में आयोजित करने का निर्णय लिया।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष उनकी जयंती के 150 वर्ष पूरे हो रहे हैं। बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर भारत के संविधान के शिल्पी हैं। भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है। यह भारत को उत्तर से दक्षिण व पूरब से पश्चिम तक एकता के सूत्र में जोड़ता है। यह भारत के प्रत्येक नागरिक को समान मताधिकार के उपयोग की स्वतंत्रता देता है। भारत के संविधान की ताकत है कि हर मतदाता अपने मत का प्रयोग कर सकता है।
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Created On :   10 Nov 2025 11:22 PM IST












