राष्ट्रीय: 'किसी व्यक्ति की फोन वार्ता को रोकना निजता के अधिकार का उल्लंघन'- मद्रास हाई कोर्ट

किसी व्यक्ति की फोन वार्ता को रोकना निजता के अधिकार का उल्लंघन- मद्रास हाई कोर्ट
मद्रास हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि किसी व्यक्ति की फोन कम्युनिकेशन को सिर्फ क्राइम का पता लगाने के लिए नहीं रोका जा सकता है। सीबीआई द्वारा दर्ज एक मामले में गृह मंत्रालय ने 2011 में एक आदेश में कहा था कि सीबीआई को चेन्नई के किशोर नामक व्यक्ति के फोन कॉल और कम्युनिकेशन को रोकने के लिए अधिकृत किया गया था। किशोर ने मद्रास हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर इस आदेश को चुनौती दी और इसे रद्द करने की मांग की थी।

चेन्नई, 2 जुलाई (आईएएनएस)। मद्रास हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि किसी व्यक्ति की फोन कम्युनिकेशन को सिर्फ क्राइम का पता लगाने के लिए नहीं रोका जा सकता है। सीबीआई द्वारा दर्ज एक मामले में गृह मंत्रालय ने 2011 में एक आदेश में कहा था कि सीबीआई को चेन्नई के किशोर नामक व्यक्ति के फोन कॉल और कम्युनिकेशन को रोकने के लिए अधिकृत किया गया था। किशोर ने मद्रास हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर इस आदेश को चुनौती दी और इसे रद्द करने की मांग की थी।

न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि जब तक कानूनी रूप से उचित न हो, किसी व्यक्ति की फोन बातचीत को रोकना उनके निजता के अधिकार का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि अपराध का पता लगाने के उद्देश्य से सीक्रेट सर्विलांस की अनुमति नहीं है। हाई कोर्ट ने गृह मंत्रालय द्वारा जारी 2011 के आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें इस तरह का प्राधिकरण दिया गया था।

न्यायाधीश ने यह भी स्पष्ट किया कि फोन टैपिंग की अनुमति सिर्फ सार्वजनिक सुरक्षा और सार्वजनिक आपातकाल के मामलों में ही दी जा सकती है। प्राइवेट कम्युनिकेशन की निगरानी का सिर्फ राष्ट्र की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा, विदेशी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों, सार्वजनिक व्यवस्था या अपराध की रोकथाम से जुड़ी परिस्थितियों में ही अनुमति है। हालांकि, इस मामले में इसका सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा से कोई संबंध नहीं था, इसलिए अदालत ने गृह मंत्रालय के आदेश को रद्द कर दिया।

वहीं, एक अन्य मामले में तमिलर काची के मुख्य समन्वयक सीमन ने त्रिची रेंज के डीआईजी वरुण कुमार द्वारा दायर मानहानि के मामले पर रोक लगाने की मांग करते हुए याचिका दायर की है। डीआईजी वरुण कुमार ने सीमन के खिलाफ त्रिची जिला अदालत में मामला दायर किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सीमन ने वरुण कुमार के परिवार के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की है। इस पर त्रिची न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि मामला सुनवाई के लिए उपयुक्त है।

सीमन ने मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै पीठ में इसे चुनौती देते हुए कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की। न्यायमूर्ति विक्टोरिया गौरी के समक्ष आज यह मामला सुनवाई के लिए आया। दलील सुनने के बाद न्यायाधीश ने त्रिची न्यायालय में वरुण कुमार द्वारा दायर मानहानि के मामले की सुनवाई पर रोक लगाते हुए अंतरिम आदेश जारी किया।

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Created On :   2 July 2025 9:44 PM IST

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