Ganga-Narmada: स्वामी सांदीपेंद्र गिरि जी महाराज ने गंगा-नर्मदा के पर्यावरण व कृषि महत्व पर प्रकाश डाला

स्वामी सांदीपेंद्र गिरि जी महाराज ने गंगा-नर्मदा के पर्यावरण व कृषि महत्व पर प्रकाश डाला
अनंत श्री विभूषित श्री श्री 1008 स्वामी सांदीपेंद्र गिरि जी महाराज (पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी) ने एक अभियान शुरू किया है, जिसमें वे लोगों को यह सिखाने का प्रयास कर रहे हैं कि गंगा और नर्मदा नदियां जीवन, कृषि और पर्यावरण की रक्षा में कैसे सहायक हैं।

मध्य प्रदेश के आध्यात्मिक जगत में धर्म की अलख स्थापित करने तथा गंगा - नर्मदा के पर्यावरण पर मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले के नलखेड़ा में स्थापित माँ बगलामुखी सिद्धपीठ के पीठाधीश्वर, अनंत श्री विभूषित श्री श्री 1008 स्वामी सांदीपेंद्र गिरि जी महाराज (पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी) ने एक अभियान शुरू किया है, जिसमें वे लोगों को यह सिखाने का प्रयास कर रहे हैं कि गंगा और नर्मदा नदियां जीवन, कृषि और पर्यावरण की रक्षा में कैसे सहायक हैं। वे इन नदियों के आध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ इनके पारिस्थितिकीय मूल्य को भी समझने पर जोर देते हैं।

भारत की जीवनरेखा: गंगा और नर्मदा का प्रमुख योगदान

स्वामी श्री स्वामी सांदीपेंद्र गिरि जी महाराज जी का कहना है कि गंगा और नर्मदा जैसी नदियां सिर्फ धार्मिक स्थल ही नहीं हैं, बल्कि ये लाखों लोगों की जीवनरेखा हैं। ये नदियां हमें पीने का पानी, सिंचाई के लिए जल और उद्योगों को संचालित करने की क्षमता प्रदान करती हैं। इसके अलावा, ये पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

गंगा नदी, जो वाराणसी, प्रयागराज (इलाहाबाद) और हरिद्वार जैसे बड़े शहरों को प्रभावित करती है, भारत में लगभग 2,500 किमी की दूरी तय करती है। यह लाखों लोगों के जीवनयापन का साधन भी है। इसी तरह, "मध्य प्रदेश की जीवनरेखा" कही जाने वाली नर्मदा नदी 1,312 किमी की दूरी तय करती है और जबलपुर, होशंगाबाद और भरूच जैसे प्रमुख शहरों को पोषित करती है। ये दोनों नदियां उन लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं जो इनके किनारे बसते हैं और अपनी आजीविका इनसे प्राप्त करते हैं।

कृषि पर निर्भरता

गंगा और नर्मदा नदियों के किनारे की मिट्टी अत्यधिक उपजाऊ और पोषक तत्वों से भरपूर होती है, जिससे बड़े पैमाने पर कृषि को बढ़ावा मिलता है। साथ ही, ये नदियां किसानों को आवश्यक जल आपूर्ति भी प्रदान करती हैं।

- गंगा के किनारे गेहूं, चावल, गन्ना और दालें उगाई जाती हैं, जो पूरे भारत के खाद्य आपूर्ति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

- नर्मदा के किनारे गेहूं, सोयाबीन, दालें, कपास, केले और अमरूद की खेती की जाती है।

स्वामी सांदीपेंद्र गिरि जी महाराज जी बताते हैं कि भारत की 40% से अधिक जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से गंगा और नर्मदा नदी के आसपास उगाई गई फसलों पर निर्भर करती है। ये नदियां कृषि को मजबूती देती हैं, जिससे खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता बनी रहती है।

नर्मदा परिक्रमा का आध्यात्मिक और पर्यावरणीय महत्व

श्री स्वामी सांदीपेंद्र गिरि जी महाराज नर्मदा परिक्रमा का समर्थन करते हैं, जो एक पवित्र तीर्थयात्रा है, जिसमें भक्त 2,600 किमी की दूरी तय करते हुए नर्मदा नदी के तटों पर यात्रा करते हैं। यह आध्यात्मिक यात्रा लोगों में आस्था को बढ़ावा देती है और प्रकृति के प्रति गहरा संबंध स्थापित करती है।

स्वामीजी नर्मदा परिक्रमा के माध्यम से लोगों को नदी संरक्षण के महत्व को समझने के लिए प्रेरित करते हैं।

वे इस बात पर जोर देते हैं कि नदियों की रक्षा करना न केवल धार्मिक कर्तव्य है, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है। वे लोगों को प्रदूषण रोकने, टिकाऊ जीवनशैली अपनाने और नदियों के किनारे वृक्षारोपण करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

सतत जीवनशैली के लिए आह्वान

स्वामीजी की दृष्टि केवल धार्मिक भक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि वे पर्यावरण संरक्षण के लिए भी लोगों को जागरूक कर रहे हैं। वे निम्नलिखित उपायों को अपनाने पर जोर देते हैं:

✔ **नदियों के किनारे वृक्षारोपण** करके मिट्टी के कटाव को रोका जाए।

✔ **औद्योगिक और घरेलू कचरे को नदियों में फेंकने पर प्रतिबंध लगाया जाए।**

✔ **रासायनिक प्रदूषण को कम करने के लिए प्राकृतिक कृषि विधियों को अपनाया जाए।**

✔ **स्थानीय समुदायों को नदियों की सफाई के अभियान में शामिल किया जाए।**

निष्कर्ष

स्वामीजी का संदेश स्पष्ट है: गंगा और नर्मदा केवल नदियां नहीं हैं, बल्कि ये जीवन, कृषि और आस्था की आधारशिला हैं। इन पवित्र नदियों का सम्मान और संरक्षण करके हम एक दीर्घकालिक और संतुलित भविष्य की नींव रख सकते हैं।

उनका प्रयास न केवल पर्यावरण सुरक्षा के लिए एक प्रेरणा है, बल्कि यह लोगों को आध्यात्मिकता और प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी का एहसास कराने का एक माध्यम भी है। शिक्षा और धार्मिक प्रवचनों के माध्यम से, श्री स्वामी सांदीपेंद्र गिरि जी महाराज लोगों में यह भावना विकसित करना चाहते हैं कि इन महत्वपूर्ण नदियों को सुरक्षित रखना प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है, ताकि भविष्य की पीढ़ियां भी इनका लाभ उठा सकें।

Created On :   8 March 2025 6:39 PM IST

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