राम मंदिर में ध्वजारोहण से पहले मुख्य सजावटकार और घंटी निर्माता ने उत्साह जताया
अयोध्या, 25 नवंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर में पवित्र ध्वजारोहण की तैयारी कर रहे हैं। वहीं, राम मंदिर के लिए पीतल की रेलिंग और घंटियां बनाने वाले मुख्य सजावटकार और कारीगरों ने मंगलवार को उन्हें सौंपी गई जिम्मेदारियों को साझा किया।
समाचार एजेंसी आईएएनएस से खास बातचीत में राम मंदिर के मुख्य सजावटकार और महाराष्ट्र के संजय धवलीकर ने कहा कि मुझे मंदिर को सजाने की जिम्मेदारी दी गई थी, जिसमें मेन गेट और पूरे परिसर में फूलों की सजावट शामिल है। हमने रंगोली बनाई है और मंदिर के अंदर लाइटिंग का भी काम संभाला है।
उन्होंने कहा कि अलग-अलग थीम का इस्तेमाल करके हमने उस रास्ते को भी सजाया है जहां से प्रधानमंत्री मोदी आएंगे। प्रधानमंत्री मोदी आज पवित्र झंडा फहराने के लिए आ रहे हैं, इसलिए सालों की मेहनत से बने मंदिर को आखिरकार पूरा होते देखना बहुत अच्छा लग रहा है।
मंदिर की पीतल की रेलिंग और घंटियां बनाने वाले पुणे के श्रीधर गायकवाड़ ने कहा कि हमने राम मंदिर की सभी पीतल की रेलिंग और घंटियां बनाई हैं। मैं अयोध्या मंदिर बनाने में अपना योगदान देकर खुद को खुशकिस्मत महसूस करता हूं। मेरा मानना है कि भगवान राम ने इस काम को पूरा करने में हमारा मार्गदर्शन किया।
प्रधानमंत्री मोदी समारोह में शामिल होने के लिए अयोध्या आने वाले हैं। उनके सुबह करीब 9:30 बजे पहुंचने की उम्मीद है।
मंदिर के लिए खास तौर पर डिजाइन किया गया झंडा, जिसका माप 22 फीट गुणा 11 फीट है, मंदिर के बनने का निशान है। अहमदाबाद के एक पैराशूट स्पेशलिस्ट ने इसे बनाया है, इसका वजन दो से तीन किलोग्राम के बीच है और इसे 161 फीट ऊंची चोटी और 42 फीट के झंडे के पोल के हिसाब से बनाया गया है। झंडे पर सूर्य का निशान होगा, जो भगवान राम के सूर्यवंशी वंश और दिव्य ऊर्जा को दिखाता है।
समारोह में आने वाले मेहमानों को मंदिर परिसर के अंदर मोबाइल फोन ले जाने की इजाजत नहीं होगी।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को कहा कि भारत अपनी सभ्यता की यात्रा में एक सुनहरा अध्याय देख रहा है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर के ऊपर भव्य भगवा ध्वज फहराने की तैयारी कर रहे हैं।
ध्वजारोहण मंदिर के निर्माण के औपचारिक रूप से पूरा होने का प्रतीक है और इसे पूरे देश में गहरे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व के क्षण के रूप में मनाया जा रहा है।
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Created On :   25 Nov 2025 9:26 AM IST












