स्वास्थ्य/चिकित्सा: बोलेग्स से पीड़ित किशोरी का एआई तकनीक से हुआ सफल इलाज

बोलेग्स से पीड़ित किशोरी का एआई तकनीक से हुआ सफल इलाज
एक उल्लेखनीय चिकित्सा उपलब्धि हासिल करते हुए सर गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों ने एक लड़की के टेढ़े पैरों को एक नवीन एआई-सहायता प्राप्त तकनीक से सीधा कर दिया।

नई दिल्ली, 13 जून (आईएएनएस)। एक उल्लेखनीय चिकित्सा उपलब्धि हासिल करते हुए सर गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों ने एक लड़की के टेढ़े पैरों को एक नवीन एआई-सहायता प्राप्त तकनीक से सीधा कर दिया।

हिमाचल प्रदेश की रहने वाली 9 वर्षीय आयशा जन्‍म से ही बोलेग्स की समस्या से पीड़ित थी। जिसे मेडिकल की भाषा में टेढ़े पैर भी कहा जाता है।

बोलेग्स की स्थिति में मरीज के पैर तब भी झुके हुए (बाहर की ओर मुड़े हुए) दिखाई देते हैं, जब टखने एक साथ होते हैं। आयशा के मामले में उसके दोनों पैर और जांघ बाहर की ओर मुड़े हुए थे।

अपने स्कूल के दिनों में बोलेग्स की समस्या से पीड़ित आयशा हीनता की भावनाओं से जूझने लगी थी। वह अपनी इस समस्या के कारण समाज के कट गई थी।

सर गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे इस समस्या से बाहर निकालने के लिए लियोजारोव फिक्सेटर और सिक्स-एक्सिस करेक्शन सॉफ्टवेयर का सहारा लिया।

सर गंगा राम अस्पताल के सीनियर डिफॉर्मिटी करेक्शन सर्जन मनीष धवन ने कहा, "यह एक हेक्सापोड है जिसके छह पैर हैं और यह किसी भी दिशा में घूम सकता है।''

डॉक्टर ने कहा, "इन उपकरणों ने संभवतः उसके पैरों की विकृति को प्रभावी ढंग से ठीक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उसकी ऊंचाई 2 इंच बढ़ाने में भी मदद की। इलिजारोव ऐसी तकनीक है जिसमें हड्डियों के पुनर्निर्माण, आकार बदलने या लम्बाई बढ़ाने के लिए एक आर्थोपेडिक बाहरी फिक्सेटर को अंग पर लगाया जाता है।''

हेक्सापॉड सर्कुलर फिक्सेटर में दो रिंग होते हैं जो छह तिरछे उन्मुख स्ट्रट्स से जुड़े होते हैं। इन फिक्सेटर को फिर कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के साथ जोड़ा जाता है जिसे सर्जन वांछित सुधार गति और दिशा को नियंत्रित करने के लिए बदल सकता है।

डॉक्टर ने कहा, ''यह कोई साधारण "फ्रेम" नहीं है, बल्कि यह सॉफ्टवेयर-आधारित एक बीमारी दूर करने की इकाई है।

डॉक्टर ने कहा, ''यह सॉफ्टवेयर हड्डी की रूपरेखा बनाकर सिम्युलेट किया जाता है जो हड्डी के टुकड़े की प्रारंभिक स्थिति और अपेक्षित अंतिम स्थिति को दर्शाता है।''

दो से तीन महीने तक चली शारीरिक और भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया को सहन करने के बाद, आयशा अब अपने पैरों पर खड़ी है और उत्तर प्रदेश में एक बैंक में काम कर रही है।

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Created On :   13 Jun 2024 5:39 PM IST

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