राजनीति: दो वोटर आईडी के मामले में चुनाव आयोग के नोटिस पर पवन खेड़ा का पलटवार

दो वोटर आईडी के मामले में चुनाव आयोग के नोटिस पर पवन खेड़ा का पलटवार
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा ने अपने नाम पर दो वोटर आईडी कार्ड होने के आरोपों पर निर्वाचन आयोग से मिले नोटिस का जवाब दिया है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि यह नोटिस इस बात का सबूत है कि चुनाव आयोग सत्तारूढ़ दल के इशारों पर काम करता है।

नई दिल्ली, 2 सितंबर (आईएएनएस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा ने अपने नाम पर दो वोटर आईडी कार्ड होने के आरोपों पर निर्वाचन आयोग से मिले नोटिस का जवाब दिया है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि यह नोटिस इस बात का सबूत है कि चुनाव आयोग सत्तारूढ़ दल के इशारों पर काम करता है।

खेड़ा ने लिखा, “नई दिल्ली जिला चुनाव कार्यालय ने मुझे नोटिस जारी किया है। यह एक और उदाहरण है कि कैसे चुनाव आयोग सत्ताधारी शासन का साथ देता है। हमारी 'वोट चोरी' की शिकायतों को नजरअंदाज किया जाता है, लेकिन विपक्षी नेताओं पर तुरंत कार्रवाई होती है। राहुल गांधी ने महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 1,00,000 फर्जी वोटर उजागर किए थे, लेकिन उस पर आयोग ने एक भी नोटिस क्यों नहीं दिया?”

बता दें कि चुनाव आयोग ने मंगलवार को खेड़ा को नोटिस भेजा, जिसमें उन पर दिल्ली की दो विधानसभा सीटों नई दिल्ली और जंगपुरा की मतदाता सूची में पंजीकरण का आरोप है। नोटिस में दोनों विधानसभा क्षेत्रों की मतदाता सूची से उनके नाम और दो अलग-अलग ईपीआईसी नंबर का विवरण भी साझा किया गया है।

इस मामले को भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने उजागर किया था। उन्होंने मतदाता सूची की तस्वीरें साझा कर दावा किया कि पवन खेड़ा के नाम पर दो सक्रिय वोटर आईडी कार्ड मौजूद हैं। मालवीय ने अपने पोस्ट में लिखा, “राहुल गांधी 'वोट चोरी' का शोर मचाते रहे, लेकिन अब पता चला कि उनके करीबी पवन खेड़ा खुद दो वोटर आईडी रखते हैं।’’

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए खेड़ा ने कहा, “चाहे सवाल अमित मालवीय उठाएं या अनुराग ठाकुर, अंततः यह चुनाव आयोग की नाकामी को ही दिखाता है। जब हम वाराणसी की मशीन-रीडेबल वोटर लिस्ट या महाराष्ट्र में बूथ-स्तर पर सीसीटीवी फुटेज की मांग करते हैं, तो हमें पारदर्शिता नहीं मिलती। यही तो वोट चोरी है।”

गौरतलब है कि पवन खेड़ा कांग्रेस के उन नेताओं में शामिल हैं, जो लगातार चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली और मतदाता सूची की पारदर्शिता पर सवाल उठाते रहे हैं।

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Created On :   2 Sept 2025 7:54 PM IST

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