राष्ट्रीय: लोकसभा के लिए भाजपा ने राज्यसभा से यूपी में साधा समीकरण

लोकसभा के लिए भाजपा ने राज्यसभा से यूपी में साधा समीकरण
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने राज्यसभा के जरिए एक बड़ा दांव चला है। पार्टी ने जाति के साथ क्षेत्रीय संतुलन साधने में कोर कसर बांकी नहीं रखी है। भाजपा ने यूपी में ओबीसी एजेंडे पर मजबूत कदम बढ़ा दिया है।

लखनऊ, 12 जनवरी (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने राज्यसभा के जरिए एक बड़ा दांव चला है। पार्टी ने जाति के साथ क्षेत्रीय संतुलन साधने में कोर कसर बांकी नहीं रखी है। भाजपा ने यूपी में ओबीसी एजेंडे पर मजबूत कदम बढ़ा दिया है।

भाजपा द्वारा घोषित राज्यसभा प्रत्याशियों पर ओबीसी की झलक साफ दिखने को मिल रही है। सात प्रत्याशियों में से चार ओबीसी वर्ग से हैं।

राजनीतिक जानकर बताते हैं कि लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने राज्यसभा के माध्यम से कई समीकरण साधे हैं। चार प्रत्याशी पिछड़े वर्ग से मैदान में उतारकर पार्टी ने प्रदेश में ओसीबी की प्रमुख जातियों को प्रतिनिधित्व दिया है। वहीं दो महिला उम्मीदवार उतारकर नारी शक्ति वंदन अधिनियम के तहत किए जा रहे अपने वादे को पूरा करने का संदेश दिया है। अपने परंपरागत वोट बैंक ब्राह्मण, ठाकुर और वैश्य का भी ध्यान रखा है।

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रसून पांडेय कहते हैं कि भाजपा ने जातीय जनगणना की बढ़ती मांग के बीच राज्यसभा में बड़ा दांव खेला है।लोकसभा चुनाव के पहले राज्यसभा के माध्यम से सारे जातीय समीकरण साधने का प्रयास किया है। पार्टी ने लोकसभा चुनाव में 60 प्रतिशत वोट हासिल करने के लिए पिछड़ों पर जोर दिया हैं।

प्रदेश में पिछड़े वर्ग में कुर्मी, जाट, बिंद और मौर्य को भाजपा का वोट बैंक माना जाता है। प्रदेश के कुर्मी वोट बैंक को साधने के लिए पूर्वांचल के कुर्मी नेता आरपीएन सिंह को मौका दिया है। वहीं कुशवाहा, शाक्य, सैनी वोट बैंक को साधने के लिए अमरपाल मौर्य को टिकट दिया है।

पांडेय ने बताया कि जयंत से गठबंधन के बीच मथुरा में जाट कार्ड खेलते हुए पूर्व सांसद तेजवीर सिंह को मैदान में उतारा है। पूर्वांचल में बिंद मतदाताओं को साधने के लिए पार्टी ने संगीता बलवंत बिंद को राज्यसभा भेजने का निर्णय लिया है। वैश्य समाज से नवीन जैन को टिकट मिला है। ब्राह्मण समाज से सुधांशु त्रिवेदी को ही दोबारा अवसर मिला है। पीएम के संसदीय क्षेत्र से जुड़ी चंदौली से साधना सिंह का भी राज्यसभा जाना तय है।

भाजपा ने एक बार फिर नए लोगों को मौका देकर एक बड़ा संदेश देने का प्रयास किया है। इसके अलावा जो जातीय समीकरण में फिट हैं, उन्हें अवसर नहीं मिला तो उन्हें लोकसभा लड़ाए जाने की संभावना है।

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Created On :   12 Feb 2024 3:05 PM IST

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