अंतरराष्ट्रीय: जापान के परमाणु दूषित जल के समुद्र में उत्सर्जन पर अंतरराष्ट्रीय निगरानी को मजबूत करे:चीन

जापान के परमाणु दूषित जल के समुद्र में उत्सर्जन पर अंतरराष्ट्रीय निगरानी को मजबूत करे:चीन
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के मार्च का परिषद सम्मेलन विएना अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में उद्घाटित हुआ, जिसमें आईएईए स्थित चीनी स्थाई प्रतिनिधि ली सोंग ने भाषण देते हुए जापान द्वारा फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयंत्र के दूषित पानी के समुद्र में छोड़े जाने के मुद्दे पर चीन का सैद्धांतिक रुख स्पष्ट किया और जापान के प्रति अंतर्राष्ट्रीय निगरानी को मजबूत करने वाले चीन के प्रस्ताव को बल दिया।

बीजिंग, 5 मार्च (आईएएनएस)। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के मार्च का परिषद सम्मेलन विएना अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में उद्घाटित हुआ, जिसमें आईएईए स्थित चीनी स्थाई प्रतिनिधि ली सोंग ने भाषण देते हुए जापान द्वारा फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयंत्र के दूषित पानी के समुद्र में छोड़े जाने के मुद्दे पर चीन का सैद्धांतिक रुख स्पष्ट किया और जापान के प्रति अंतर्राष्ट्रीय निगरानी को मजबूत करने वाले चीन के प्रस्ताव को बल दिया।

ली सोंग ने कहा कि पड़ोसी देशों के विरोध और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की चिंताओं को नज़रअंदाज करते हुए, जापान ने बिना अनुमति के 23,000 टन से अधिक परमाणु-दूषित पानी को समुद्र में छोड़ दिया है, और पिछले सप्ताह समुद्र में निर्वहन का चौथा बैच शुरू किया है। फुकुशिमा परमाणु दूषित पानी को समुद्र में छोड़े जाने से होने वाले फैलाव के प्रभाव अभूतपूर्व हैं और यह जापान की भूमि या क्षेत्राधिकार से बहुत परे है। यह किसी भी तरह से ऐसा मामला नहीं है, जिसका जापान द्वारा समाधान किया जा सकता है।

जापान के परमाणु प्रदूषित पानी को समुद्र में छोड़ने से अंतर्राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा प्रणाली पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। उसने इसका समर्थन के लिए आईएईए का उपयोग किया है, जिससे एजेंसी की विश्वसनीयता को गंभीर नुकसान हुआ है।

चीनी प्रतिनिधि ली सोंग ने यह भी कहा कि चीन का रुख हमेशा स्पष्ट रहा है। यानी चीन जापान के परमाणु प्रदूषित पानी को समुद्र में छोड़ने का दृढ़ता से विरोध करता है और जापान से अपने समुद्री उत्सर्जन को रोकने का जोरदार आग्रह करता है। लोकिन, जापान समुद्री उत्सर्जन गतिविधियों को आगे बढ़ाने पर ज़ोर देता है। समुद्री पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य के प्रति अत्यधिक जिम्मेदार रवैये के अनुरूप, चीन ने सबसे पहले जापान पर सख्त और प्रभावी अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षण की वकालत की।

चीन की वकालत और समर्थन समुद्र में फुकुशिमा परमाणु दूषित पानी के उत्सर्जन की अंतर्राष्ट्रीय निगरानी और पर्यवेक्षण में एक महत्वपूर्ण योगदान है। साथ ही, चीन सहित संबंधित हितधारकों की ठोस भागीदारी अंतर्राष्ट्रीय निगरानी व्यवस्था के वास्तव में सख्त, स्वतंत्र और प्रभावी होने की एक महत्वपूर्ण गारंटी है।

ली सोंग ने बल देते हुए कहा कि फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयंत्र से दूषित पानी को समुद्र में छोड़ना एक वैज्ञानिक मुद्दा ही नहीं, रवैये की बात भी है। चीन जापान से आग्रह करता है कि वह घरेलू और विदेशी चिंताओं को गंभीरता से ले, पड़ोसी देशों और अन्य महत्वपूर्ण इच्छुक पक्षों की ठोस भागीदारी वाली सच्चे मायने में स्वतंत्र और प्रभावी दीर्घकालिक अंतर्राष्ट्रीय निगरानी व्यवस्था की स्थापना करने में व्यापक सहयोग करे, पड़ोसी देशों की वैध चिंताओं को प्रभावी ढंग से संबोधित करें, फुकुशिमा परमाणु-दूषित पानी का उचित निपटान करें और खुद की कार्रवाइयों से वैश्विक समुद्री पर्यावरण और मानव जाति के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने से बचे।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   7 March 2024 3:28 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story