अंतरराष्ट्रीय: दक्षिण चीन सागर के द्वीपों पर चीन की प्रभुसत्ता ब्रिटिश अंतरराष्ट्रीय कानून विशेषज्ञ

दक्षिण चीन सागर के द्वीपों पर चीन की प्रभुसत्ता  ब्रिटिश अंतरराष्ट्रीय कानून विशेषज्ञ
‘दक्षिण चीन सागर का इतिहास और प्रभुसत्ता’ पुस्तक के लेखक और ब्रिटिश अंतरराष्ट्रीय कानून के विशेषज्ञ ऐंथनी कार्टी ने बताया कि दक्षिण चीन सागर के द्वीप प्राचीन समय से ही चीन की भूमि का एक अभिन्न अंग रहे हैं। दक्षिण चीन सागर के द्वीपों पर चीन की प्रभुसत्ता के पर्याप्त ऐतिहासिक और कानूनी प्रमाण हैं।

बीजिंग, 4 अप्रैल (आईएएनएस)। ‘दक्षिण चीन सागर का इतिहास और प्रभुसत्ता’ पुस्तक के लेखक और ब्रिटिश अंतरराष्ट्रीय कानून के विशेषज्ञ ऐंथनी कार्टी ने बताया कि दक्षिण चीन सागर के द्वीप प्राचीन समय से ही चीन की भूमि का एक अभिन्न अंग रहे हैं। दक्षिण चीन सागर के द्वीपों पर चीन की प्रभुसत्ता के पर्याप्त ऐतिहासिक और कानूनी प्रमाण हैं।

पेइचिंग में आयोजित एक संगोष्ठी में ऐंथनी कार्टी ने पुस्तक ‘दक्षिण चीन सागर का इतिहास और प्रभुसत्ता’ लिखने की प्रक्रिया साझा की। दस से अधिक सालों में उन्होंने फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका में 19वीं सदी के अंत से दक्षिण चीन सागर के द्वीपों की प्रभुसत्ता संबंधी फाइलों को पढ़ा और संबंधित जगहों पर जाकर पड़ताल भी की।

उन्होंने बारीकी से दक्षिण चीन सागर के द्वीपों के ऐतिहासिक परिवर्तन और प्रभुसत्ता का अध्ययन कर साबित किया है कि दक्षिण चीन सागर के द्वीपों की प्रभुसत्ता चीन की है।

ऐंथनी कार्टी के अध्ययन का मुख्य विषय अंतरराष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय संबंधों की फिलॉसफी तथा इतिहास है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानून की फिलॉसफी आदि पुस्तिकें लिखीं।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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Created On :   4 April 2024 2:16 PM IST

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