लोकसभा चुनाव 2024: मध्य प्रदेश के पुराने कांग्रेसी दिग्गजों को खुद पार्टी ने चुनाव प्रचार में नहीं दिया महत्व

मध्य प्रदेश के पुराने कांग्रेसी दिग्गजों को खुद पार्टी ने चुनाव प्रचार में नहीं दिया महत्व
मध्य प्रदेश में लोकसभा के चुनाव के लिए चार चरणों में मतदान हो चुका है। वहीं देश में सातवें और अंतिम चरण का मतदान 1 जून को होने वाला है। इस बार के चुनाव में मध्य प्रदेश के दिग्गज कांग्रेसी नेताओं का पार्टी भी बेहतर उपयोग नहीं कर पाई। गिनती के नेता ही पूरे राज्य में प्रचार में सक्रिय देखे और कुछ ही नेता राज्य के बाहर नजर आए।

भोपाल 31 मई (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में लोकसभा के चुनाव के लिए चार चरणों में मतदान हो चुका है। वहीं देश में सातवें और अंतिम चरण का मतदान 1 जून को होने वाला है। इस बार के चुनाव में मध्य प्रदेश के दिग्गज कांग्रेसी नेताओं का पार्टी भी बेहतर उपयोग नहीं कर पाई। गिनती के नेता ही पूरे राज्य में प्रचार में सक्रिय देखे और कुछ ही नेता राज्य के बाहर नजर आए।

राज्य में लोकसभा की 29 सीटें हैं। इन सीटों पर पहले चार चरणों में मतदान हुआ। कांग्रेस के दिग्गज नेता, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह, इन चार चरणों में भी सीमित तौर पर सक्रिय रहे। छिंदवाड़ा से कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ चुनाव मैदान में थे और राजगढ़ से स्वयं दिग्विजय सिंह ताल ठोक रहे थे। दोनों इन सीटों पर अपनी-अपनी प्रतिष्ठा बचाने की चिंता में बाहर निकल ही नहीं सके।

छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र में पहले चरण में मतदान हुआ और उसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ एक दो संसदीय क्षेत्र तक ही प्रचार करने पहुंचे। उन्होंने राज्य के बाहर भी पार्टी के लिए ज्यादा सक्रियता नहीं दिखाई। दिग्विजय सिंह ने अपने संसदीय क्षेत्र राजगढ़ में प्रचार किया और उसके अलावा आसपास के संसदीय क्षेत्र में उम्मीदवारों के समर्थन में जनसभाएं और बैठकें कीं। उसके बाद राज्य के बाहर कुछ संसदीय क्षेत्र में जाकर प्रचार भी किया। राज्य में चुनाव प्रचार में मुख्य तौर पर राज्यसभा सांसद विवेक तंखा, प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव सक्रिय नजर आए। राज्य के बाहर भी कुछ नेताओं को प्रचार के लिए भेजा गया।

कांग्रेस के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, राज्य के अधिकांश नेताओं की दिल्ली में पूछ-परख कम हो गई है। भले ही राष्ट्रीय स्तर पर राज्य के नेताओं की हनक रही हो, मगर अब स्थितियां बदल चुकी हैं। इन नेताओं का प्रभाव कम हुआ है और उम्मीदवार भी नहीं चाहते थे कि वे उनके इलाके में जाकर प्रचार करें। एक तरफ पार्टी आलाकमान ने इन नेताओं पर ज्यादा भरोसा नहीं दिखाया तो वही उम्मीदवार भी इन्हें बुलाने में ज्यादा रुचि नहीं ले रहे थे। इसी का नतीजा है कि वे राज्य के भले ही दिग्गज नेता हों, मगर उनकी देश में पहले जैसी पूछ नहीं रही।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   31 May 2024 10:39 AM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story