राजनीति: सीताराम येचुरी के निधन पर मनीष सिसोदिया ने कहा, ‘वो मेरे लिए प्रेरणा स्रोत थे’

सीताराम येचुरी के निधन पर मनीष सिसोदिया ने कहा, ‘वो मेरे लिए प्रेरणा स्रोत थे’
दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने सीपीआई (एम) महासचिव सीताराम येचुरी के निधन पर कहा, ‘वो मेरे लिए प्रेरणा के स्रोत थे’। जब भी उनसे मुलाकात हुई, वह हमेशा गर्मजोशी के साथ मिलते थे। उनकी कमी हमेशा खलती रहेगी और उनकी जगह कोई नहीं ले सकता।

नई दिल्ली, 14 सितंबर (आईएएनएस)। दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने सीपीआई (एम) महासचिव सीताराम येचुरी के निधन पर कहा, ‘वो मेरे लिए प्रेरणा के स्रोत थे’। जब भी उनसे मुलाकात हुई, वह हमेशा गर्मजोशी के साथ मिलते थे। उनकी कमी हमेशा खलती रहेगी और उनकी जगह कोई नहीं ले सकता।

सिसोदिया ने कहा, उन्हें राष्ट्रीय मुद्दों और उसके समाधानों की गहरी समझ थी। वह ऐसे व्यक्ति थे, जो उन लोगों को एक साथ ला सकते थे, जो इन समाधानों को लागू कर सकते थे। अपने पूरे राजनीतिक जीवन में उन्होंने देश की सेवा की। हमें गर्व है कि वह हमारे देश का हिस्सा थे। मैं जब पत्रकार था, वे हमारे प्रेरणा के स्त्रोत थे। गर्मजोशी के साथ मिलते थे। हम उन्हें पूरे जीवन मिस करेंगे, उनकी जगह कोई नहीं ले सकता।

बता दें कि सीताराम येचुरी का गुरुवार को 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। 19 अगस्त को नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में उन्हें भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।

12 अगस्त, 1952 को चेन्नई में एक तेलुगु भाषी परिवार में जन्मे सीताराम येचुरी जेएनयू में शिक्षा प्राप्त करने के दौरान छात्र राजनीति से जुड़े। उन्होंने मार्क्सवादी सिद्धांतों को अपनाया और सीपीआई (एम) की छात्र शाखा स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के सदस्य बने। उनके नाम तीन बार जेएनयू छात्रसंघ का अध्यक्ष बनने का रिकॉर्ड है।

आपातकाल के दौरान अपनी गिरफ्तारी देने वाले येचुरी बाद में एसएफआई के अखिल भारतीय अध्यक्ष बने। उन्होंने अपने सहयोगी प्रकाश करात के साथ मिलकर जेएनयू को अभेद्य वामपंथी गढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे 32 साल की उम्र में सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति के सदस्य और 40 साल की उम्र में पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य बने।

राज्यसभा सदस्य के तौर पर उन्होंने संसद में चर्चाओं और लोकतांत्रिक परंपराओं को समृद्ध बनाने का काम किया। इसकी वजह से उन्होंने राजनीतिक विरोधियों का भी सम्मान अर्जित किया। गठबंधन की सरकार के दौर में समावेशी विचारों को अपनाते हुए मार्क्सवाद के सिद्धांतों के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता को बरकरार रखा।

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Created On :   14 Sept 2024 4:41 PM IST

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