अन्य खेल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमारे लिए हमेशा एक मित्र की तरह हैं योगेश कथुनिया
नई दिल्ली, 14 सितंबर (आईएएनएस)। दो बार के पैरालंपिक रजत पदक विजेता योगेश कथुनिया ने प्रधानमंत्री मोदी को 'परम मित्र' कहकर एक नया खिताब दिया है। जो काफी चर्चा में भी है। योगेश ने हाल ही में हुए पेरिस पैरालंपिक में एफ 56 वर्ग में 42.22 मीटर दूर चक्का फेंककर फिर से रजत पदक अपने नाम किया था। योगेश ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की और उनको हमेशा के लिए खिलाड़ियों का मित्र बताया।
योगेश ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "पीएम मोदी की दिलचस्पी की वजह से पैरा खेलों को भी काफी उछाल मिला है। चाहे वह रियो के बाद हो, चाहे वह टोक्यो हो, चाहे पेरिस हो, प्रधानमंत्री का अहम रोल रहा है। उनकी भागीदारी ने पैरा खेलों को इतना समावेशी बनाया है, जितना किसी ने नहीं किया था। वह हमेशा हमारे एक मित्र की तरह हैं। जिन्होंने अच्छे और बुरे दोनों समय में हमें शीर्ष स्तर का सहयोग दिया है। उनकी वजह से हमें टॉप स्कीम, खेलो इंडिया आदि से मदद मिलती है।"
योगेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किए गए अपने चर्चित संबोधन पर कहा, "सारे खिलाड़ी कुछ न कुछ बोल ही रहे थे, मैंने सोचा कि सबसे अलग बात कहूं। एक जो अच्छी बात हो और एक अच्छा संदेश पूरे देश को मिले। तो जैसे ही मैंने बोला, उन्होंने कहा, 'वाह', उन्हें एक नया शब्द मिला। और मैंने कल देखा कि वह हर जगह वायरल हो गया। मेरे पास बहुत सारे लोगों के मैसेज आए और यह सोशल मीडिया, चाहे इंस्टाग्राम हो या यूट्यूब, हर जगह पर चर्चित हो रहा था। मेरा इंटरव्यू वहां लगाया गया, जो मुझे अच्छा लगा।"
योगेश ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी हर मौके पर खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देते हैं। चाहे वह विश्व कप हो, चाहे खेलों को लेकर हो, वह हमेशा खुद को शामिल करते हैं। उनका मुख्य उद्देश्य है कि हमारा भारत एक खेल-केंद्रित राष्ट्र बने। खेल जितने अधिक होंगे, उतना अच्छा है। क्योंकि फिटनेस जीवन में बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होती है, और हमारे देश के लोग ज्यादातर शिक्षा और नौकरियों की तरफ अधिक ध्यान देते हैं। पीएम मोदी का कहना है कि अगर आप खेलों में भाग लेंगे तो इसमें भी अच्छा अवसर है। उनका यही कहना है कि अगर आप खेल में जाएंगे तो आप विश्व स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व कर पाएंगे।
योगेश ने कहा, "मैं यह नहीं कहता कि पढ़ाई आसान है। यूपीएससी की पढ़ाई करने वाले भी 18 घंटे पढ़ते हैं। वे बहुत कठिन परिश्रम करते हैं। मैं भी सीए कर रहा था, और यह बहुत कठिन होता है। जो लोग यह बातें कहते हैं कि पढ़ाई आसान है और खेल कठिन, वह इसलिए कहते हैं क्योंकि वे खुद यह नहीं कर सकते। पढ़ाई भी सबसे कठिन कामों में से एक है लेकिन खेल इससे भी थोड़ा कठिन है। क्योंकि पढ़ाई में जहां परीक्षा पाठ्यक्रम के दायरे में आती है, तो खेल में हमारी चुनौतियां पाठ्यक्रम के बाहर आती हैं।"
योगेश ने मई में वर्ल्ड पैरा-एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी रजत पदक जीता था।
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Created On :   14 Sept 2024 7:28 PM IST