राजनीति: वाराणसी में दो दिवसीय महा समागम में देश-विदेश से जुटे साधु संत

वाराणसी में दो दिवसीय महा समागम में देश-विदेश से जुटे साधु संत
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मां सती के 51 शक्तिपीठ एवं द्वादश ज्योतिर्लिंग को लेकर महा समागम कार्यक्रम आयोजित किया गया।

वाराणसी, 30 नवंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मां सती के 51 शक्तिपीठ एवं द्वादश ज्योतिर्लिंग को लेकर महा समागम कार्यक्रम आयोजित किया गया।

30 नवंबर को शुरू हुआ यह समागम 1 दिसंबर तक चलेगा। दो दिवसीय इस समागम में हिस्सा लेने के लिए देशभर से साधु संत पहुंचे हैं। इसके अलावा समागम के पहले दिन प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक भी पहुंचे। इस समागम का आयोजन सेंटर फॉर सनातन रिसर्च एवं ट्रायडेंट सेवा समिति ट्रस्ट द्वारा किया गया है।

इस समागम में नेपाल से हिस्सा लेने पहुंचे सुमन कर्मचार्य ने बताया है कि इस समागम में हम लोग धर्म पर चर्चा करेंगे। क्योंकि हम सभी लोग एक हैं। भारत और नेपाल का रिश्ता बहुत गहरा है। जिस प्रकार भारत में कामाख्या मंदिर शक्तिपीठ का दर्शन किया जाता है। इसी प्रकार जब आप नेपाल आते हैं तो पशुपतिनाथ मंदिर से पहले वहां पर गुजरेश्वरी मंदिर शक्तिपीठ के दर्शन करने होते हैं। वाराणसी में आयोजित इस समागम में हम 9 लोगों के साथ आए हैं।

51 शक्तिपीठ तीर्थ लखनऊ की अध्यक्ष तृप्ति तिवारी ने कहा है कि इस समागम की बहुत जरूरत है क्योंकि यहां पर बहुत सारी समस्याएं हैं जिसकी विस्तार से चर्चा होनी चाहिए। बांग्लादेश में हिन्दुओं के सामने जो समस्या आ रही हैं उस पर भी चर्चा होगी। हमारी कोशिश है कि हम वहां के लोगों के साथ आएं।

मंजू मिश्रा ने कहा है कि मैं सनातन धर्म संस्कृति से जुड़ी हुई हूं। हमारी सनातन संस्कृति की भावना वसुधैव कुटुंबकम है। जिसके तहत सभी का भला चाहा जाता है। हम किसी एक चींटी को भी नहीं मार सकते हैं। सनातन धर्म में विश्व नेतृत्व की क्षमता है। विश्व में जो मौजूदा स्थिति है, एक दूसरे को मारा जा रहा है, मैं कहना चाहती हूं कि सनातन संस्कृति धर्म से शांति लाई जा सकती है। सनातन संस्कृति से ही पूरे विश्व को एक साथ कर आगे बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा है कि समागम में बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार पर भी चर्चा होगी।

उन्होंने कहा कि हिन्दू किसी को कट्टर नहीं मानता है। वह तो दयालु है सभी को साथ लेकर चलना चाहता है। सनातन धर्म ही सबसे अच्छा धर्म है।

तुल्यदास शास्त्री ने कहा है कि इस तरह का समागम होना चाहिए। मुझे ऐसा लग रहा है कि विश्व में पहली बार ऐसा समागम हुआ है। आयोजकों ने शिव और शक्ति को मिलवाया है। सनातन की मजबूती के लिए हम सभी को इकठ्ठा होने की जरूरत है।

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Created On :   30 Nov 2024 4:21 PM IST

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