राजनीति: किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए जिंदा जमीर वालों को न्योते की जरूरत नहीं अभिमन्यु कोहाड़

किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए जिंदा जमीर वालों को न्योते की जरूरत नहीं  अभिमन्यु कोहाड़
किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने रविवार को एक अहम बयान दिया है। आईएएनएस से बात करते हुए उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन में किसी को भी न्योता देने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह लड़ाई निजी स्वार्थ के लिए नहीं, बल्कि किसानों के हक और सम्मान के लिए लड़ी जा रही है। जिंदा जमीर वाले लोगों को किसी प्रकार के न्योते की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन फिर भी जो भी आना चाहेंगे, उनका स्वागत किया जाएगा और स्टेज पर स्थान भी दिया जाएगा।

खनौरी बॉर्डर, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने रविवार को एक अहम बयान दिया है। आईएएनएस से बात करते हुए उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन में किसी को भी न्योता देने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह लड़ाई निजी स्वार्थ के लिए नहीं, बल्कि किसानों के हक और सम्मान के लिए लड़ी जा रही है। जिंदा जमीर वाले लोगों को किसी प्रकार के न्योते की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन फिर भी जो भी आना चाहेंगे, उनका स्वागत किया जाएगा और स्टेज पर स्थान भी दिया जाएगा।

अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि किसान आंदोलन पूरी तरह से गांधीवादी तरीके से शांतिपूर्ण है। इसके बाद भी सरकार आंदोलन को कुचलने की कोशिश कर रही है और यह एक दुखद स्थिति है। जगजीत सिंह डल्लेवाल के आमरण अनशन आज 13वां दिन है। उनकी तबीयत काफी खराब हो गई है, उनकी किडनी डैमेज होनी शुरू हो गई है। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई सभी किसानों की है और इसमें किसी भी प्रकार की निजी स्वार्थ की भावना नहीं होनी चाहिए। वह सभी खापों और किसान संगठनों के नेताओं का सम्मान करते हैं।

किसान नेता ने कहा कि वह चाहते हैं कि सभी किसान संगठनों के नेता एकजुट हो जाएं, लेकिन यह एकता सिद्धांतों और नियमों के आधार पर होनी चाहिए। हरियाणा की खापों में इन दिनों दो-दो, तीन-तीन प्रधान बन गए हैं, जिससे वहां कुछ मतभेद उत्पन्न हो रहे हैं। एसकेएम और केएमएम दोनों संगठनों के अपने नियम और नीतियां हैं, जिन्हें सभी को माननी पड़ेंगी। हम उनका स्वागत करेंगे जो इन दोनों मोर्चों के नियमों का पालन करेंगे। किसानों की यह लड़ाई कोई व्यक्तिगत या सामाजिक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह लोगों के अधिकारों की लड़ाई है। इसके लिए किसी को न्योता देने की आवश्यकता नहीं होती। चाहे कोई खाप प्रधान हो या किसान संगठन का नेता, सभी का सम्मान किया जाएगा।

बता दें कि पंजाब-हरियाणा (शंभू) बॉर्डर से किसान एक बार फिर दिल्ली की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। इस आंदोलन में शंभू बॉर्डर पर 13 फरवरी से आठ महीने से ज्यादा समय से धरना दे रहे किसान अब ट्रैक्टर-ट्रॉली के बिना पैदल ही दिल्ली की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   8 Dec 2024 10:46 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story