राजनीति: प्रतिनिधिमंडल को विदेश भेजने का फैसला सही, लेकिन पहले संसद का विशेष सत्र बुलाना चाहिए था विवेक तन्खा

नई दिल्ली, 21 मई (आईएएनएस)। पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर बेनकाब करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित की गई सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का पहला ग्रुप आज विदेश दौरे पर रवाना होगा। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने प्रतिनिधिमंडल को विदेश भेजे जाने के केंद्र सरकार के निर्णय की तारीफ की। उन्होंने सुझाव दिया कि इस चर्चा में कश्मीरी पंडितों का मुद्दा भी शामिल होना चाहिए।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "यह एक अच्छा प्रयास है और सरकार दुनिया को जागरूक करना चाहती है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ क्यों हुआ। भारत किस तरह से आतंकवाद से ग्रसित है और हमने ऑपरेशन के जरिए सिर्फ आतंकियों को निशाना बनाया। ये प्रतिनिधिमंडल विदेश जाकर भारत का पक्ष रखेगा और मुझे लगता है कि इस पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।"
उन्होंने कहा, "मेरा सवाल है कि कश्मीरी पंडितों को जिस तरीके से कश्मीर में आतंकित करके बाहर निकाला गया, इस पर चर्चा क्यों नहीं होती? यहां सिर्फ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की बात होती है, मगर जब तक कश्मीरी पंडितों को उनके घर वापस नहीं भेजा जाएगा, तब तक वहां ऐसा ही होता रहेगा। एक बार जब कश्मीरी पंडितों को कश्मीर अपना लेगा तो इससे ये साफ हो जाएगा कि अब पाकिस्तान को किसी तरीके का कोई सपोर्ट सिस्टम हासिल नहीं है। जिस तरह से कश्मीरी हिंदुओं को वहां से निकाला गया है, उस पर बात होनी चाहिए।"
राजनीतिक दलों द्वारा संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग पर विवेक तन्खा ने कहा, "यह बात सही है, क्योंकि अगर विशेष सत्र बुलाते हैं और भारतीय संसद को जानकारी देते तो उससे सबसे बड़ा संदेश दुनियाभर में जाता। संसद से बढ़िया कोई मैसेज कम्युनिकेट नहीं कर सकता है।"
भाजपा की ओर से राहुल गांधी को निशाना बनाए जाने पर कांग्रेस सांसद तन्खा ने कहा, "राहुल गांधी विपक्ष के नेता हैं और विपक्ष के नेता अगर कुछ सवाल पूछते हैं तो उसका जवाब देना चाहिए। विपक्ष के नेता के सवाल का जवाब नहीं दोगे तो किसके सवाल का जवाब दोगे और भारतीय राजनीति अभी निम्न स्तर पर पहुंच गई है।"
अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान की गिरफ्तारी पर विवेक तन्खा ने कहा, "मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि इस मामले और मध्य प्रदेश के एक मंत्री के मामले में जमीन-आसमान का अंतर है। उस मंत्री ने महिलाओं के बारे में आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था। जब उन्हें मंत्रिमंडल से हटाया गया था, तब उन्होंने एक पूर्व मुख्यमंत्री की पत्नी के बारे में क्या कहा था? इसके अलावा, जब विद्या बालन बालाघाट आई थीं, तब क्या हुआ था? लड़कियों के स्कूल जब वह गए थे, तब क्या हुआ था? मंत्री के मामले की तुलना प्रोफेसर के मामले से नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि प्रोफेसर एक प्रतिष्ठित परिवार से आते हैं और मैं उनके पिता को व्यक्तिगत रूप से जानता हूं। मगर, प्रोफेसर को तुरंत ही गिरफ्तार करा लिया जाता है, लेकिन क्या सरकार ने मंत्री के साथ ऐसा किया? मेरा यही मानना है कि अगर हम प्रजातंत्र को सफल बनाना चाहते हैं तो हमें दोहरा मापदंड बंद करना होगा।"
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Created On :   21 May 2025 1:02 PM IST