राजनीति: रांची में राजभवन के समक्ष कांग्रेस का प्रदर्शन, आदिवासियों के लिए ‘सरना धर्मकोड’ की मांग

रांची में राजभवन के समक्ष कांग्रेस का प्रदर्शन, आदिवासियों के लिए ‘सरना धर्मकोड’ की मांग
भारत की जनगणना के फॉर्म में आदिवासियों के लिए 'सरना' धर्मकोड की मांग झारखंड में बड़ा सियासी मुद्दा बन गई है। इसे लेकर सोमवार को झारखंड प्रदेश कांग्रेस ने रांची में राजभवन के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया।

रांची, 26 मई (आईएएनएस)। भारत की जनगणना के फॉर्म में आदिवासियों के लिए 'सरना' धर्मकोड की मांग झारखंड में बड़ा सियासी मुद्दा बन गई है। इसे लेकर सोमवार को झारखंड प्रदेश कांग्रेस ने रांची में राजभवन के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया।

इसके बाद कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा, जिसमें केंद्र सरकार से मांग की गई है कि आदिवासियों की स्वतंत्र धार्मिक पहचान सुनिश्चित करने के लिए यह जरूरी है कि उनके लिए जनगणना प्रपत्र में अलग कोड की व्यवस्था की जाए।

धरना-प्रदर्शन की अगुवाई कांग्रेस के झारखंड प्रभारी के. राजू, सह प्रभारी सिरीबेला प्रसाद और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने की। इस दौरान झारखंड सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री इरफान अंसारी, शिल्पी नेहा तिर्की, दीपिका पांडेय सिंह, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव प्रणव झा, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, सांसद सुखदेव भगत, वरिष्ठ विधायक डॉ. रामेश्वर उरांव, राजेश कच्छप, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर सहित कई प्रमुख नेता मौजूद रहे।

धरना में प्रदेश भर से कांग्रेस के नेता-कार्यकर्ता शामिल हुए। धरनास्थल पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रभारी के. राजू ने कहा कि आदिवासियों का अपना अलग धर्म है। वे प्रकृति पूजक हैं। झारखंड के आदिवासी सरना धर्म को मानते हैं। देश के दूसरे प्रदेशों में भी आदिवासी इसी धर्म को किसी और नाम से मानते हैं। जनगणना के फॉर्म में सिर्फ छह धर्मों हिंदू, इस्लाम, सिख, ईसाई, जैन और बौद्ध के लिए कोड की व्यवस्था है। आदिवासियों के लिए भी अलग कोड इसलिए जरूरी है ताकि वे स्वतंत्र रूप से अपनी धार्मिक पहचान दर्ज कर सकें।

झारखंड की कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि जाति जनगणना में सरना धर्म कोड को हर हाल में सातवें कॉलम में शामिल करना होगा। आदिवासी समाज बराबरी में विश्वास रखता है। वह अपने धर्म को मानने और अपनाने के लिए स्वतंत्र है। उसे स्वतंत्र धार्मिक पहचान के अधिकार से वंचित नहीं रखा जा सकता।

मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि सरना कोड लागू करने के लिए झारखंड विधानसभा ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा था, लेकिन इस मुद्दे पर केंद्र सरकार ने जानबूझकर चुप्पी साध रखी है। वह आदिवासियों को उनके संवैधानिक अधिकार से वंचित रखना चाहती है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने कहा कि सरना धर्मकोड की लड़ाई रुकने वाली नहीं है। इस मुद्दे पर कांग्रेस दिल्ली में भी धरना-प्रदर्शन करेगी।

उल्लेखनीय है कि इसी मुद्दे पर मंगलवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी प्रदेशव्यापी धरना-प्रदर्शन का ऐलान किया है।

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Created On :   26 May 2025 7:20 PM IST

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