राष्ट्रीय: देश के किसानों की समृद्धि है 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' का लक्ष्य पीएस पांडे

देश के किसानों की समृद्धि है विकसित कृषि संकल्प अभियान का लक्ष्य  पीएस पांडे
'विकसित कृषि संकल्प अभियान' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। पूरे देश में कृषि संस्थानों और कृषि विश्वविद्यालयों के माध्यम से इसे कार्यान्वित किया जा रहा है।

समस्तीपुर, 5 जून (आईएएनएस)। 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। पूरे देश में कृषि संस्थानों और कृषि विश्वविद्यालयों के माध्यम से इसे कार्यान्वित किया जा रहा है।

बिहार के समस्तीपुर जिले के पूसा स्थित डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति पीएस पांडे ने गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा, "विकसित कृषि संकल्प अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 मई को की थी। यह अभियान पूरे देश में 12 जून तक चलेगा।"

उन्होंने कहा, "विश्वविद्यालय ने 720 वैज्ञानिकों की टीम बनाई है। वैज्ञानिकों ने 1,756 कृषि प्रसार पदाधिकारियों के साथ मिलकर 993 गांवों का भ्रमण किया। वैज्ञानिकों की टीम 96,475 किसानों के पास पहुंची और न सिर्फ उनकी समस्याएं सुनीं बल्कि उनका समाधान भी बताया।"

कुलपति ने कहा, "समृद्ध देश के लिए जरूरी है कि किसान समृद्ध हों। इसी वजह से प्रधानमंत्री ने संकल्प अभियान की शुरुआत की है। अभियान के तहत कृषि वैज्ञानिकों की टीम अलग-अलग गांव में पहुंचकर सीधा किसानों से संवाद कर रही है।"

उन्होंने कहा, "बिहार-झारखंड को मिलाकर 174 टीम बनाई गई है, जिन्हें 9,75,000 किसानों तक पहुंचकर संवाद करना है। बिहार में 130 टीम काम कर रही हैं, जिन्हें 6,45,000 किसानों के पास पहुंचना है।"

डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा द्वारा 13 जिलों में 16 कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा 38 टीम बनाई गई हैं जिनका लक्ष्य 1,90,000 किसानों से संवाद करना है।

कुलपति ने कहा, "खरीफ के मौसम में उगाई जाने वाली प्रमुख फसलों से संबंधित आधुनिक तरीकों के बारे में किसानों को टीम की तरफ से जागरूक किया जा रहा है। विभिन्न फसलों के चयन और संतुलित खाद के प्रयोग के बारे में भी जानकारी दी जा रही है। किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड के बारे में बताया गया है।"

उन्होंने कहा, "कृषि वैज्ञानिक किसानों के लिए सरकार की चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में भी जानकारी देकर उन्हें जागरूक कर रहे हैं। उन्हें योजनाओं के फायदे के बारे में बताया जा रहा है। वैज्ञानिकों को किसानों से फीडबैक भी लेना है ताकि उनकी ओर से किए गए नवाचार के बारे में वैज्ञानिक जान सकें और उनके अनुसार अनुसंधान की दिशा का निर्धारण कर सकें।"

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Created On :   5 Jun 2025 9:55 PM IST

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