राजनीति: धुएं से मुस्कान तक अंडमान-निकोबार में उज्ज्वला योजना ने बदली महिलाओं की जिंदगी

धुएं से मुस्कान तक  अंडमान-निकोबार में उज्ज्वला योजना ने बदली महिलाओं की जिंदगी
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की महिलाएं अब प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के जरिए न केवल साफ और सुरक्षित रसोई का अनुभव कर रही हैं, बल्कि एक नई आजादी, आत्मनिर्भरता और स्वस्थ जीवन की ओर भी अग्रसर हो चुकी हैं। यहां की महिलाएं स्वच्छ, सुलभ एलपीजी का उपयोग कर रही हैं। पीएमयूवाई के तहत, यहां की महिलाएं धुएं वाली रसोई और स्वास्थ्य जोखिमों को पीछे छोड़कर एलपीजी की आसानी और विश्वसनीयता को अपना रही हैं।

पोर्ट ब्लेयर, 12 जून (आईएएनएस)। अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की महिलाएं अब प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के जरिए न केवल साफ और सुरक्षित रसोई का अनुभव कर रही हैं, बल्कि एक नई आजादी, आत्मनिर्भरता और स्वस्थ जीवन की ओर भी अग्रसर हो चुकी हैं। यहां की महिलाएं स्वच्छ, सुलभ एलपीजी का उपयोग कर रही हैं। पीएमयूवाई के तहत, यहां की महिलाएं धुएं वाली रसोई और स्वास्थ्य जोखिमों को पीछे छोड़कर एलपीजी की आसानी और विश्वसनीयता को अपना रही हैं।

इंडियन ऑयल ने इन सुदूरवर्ती द्वीपों के 13,800 से अधिक गरीब परिवारों तक एलपीजी सिलेंडर, मुफ्त चूल्हा और पाइप पहुंचाकर इन महिलाओं की जिंदगी में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। जंगलों और समुद्री सीमाओं के बीच, नावों और विशेष वाहनों के माध्यम से यह सुविधा पहुंचाई गई। अब रसोईघर सिर्फ खाना पकाने की जगह नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, सम्मान और समय की बचत का प्रतीक बन चुका है।

पोर्ट ब्लेयर की निवासी ए. वेंकटलक्ष्मी ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया, "मुझे अपने पड़ोसियों से उज्ज्वला योजना के बारे में पता चला और फिर मैंने इसके लिए लिखित में आवेदन किया। पहले हम खाना पकाने के लिए (पारंपरिक) चूल्हे का इस्तेमाल करते थे। लकड़ी मिलने में दिक्कत होती थी, बहुत ज्यादा धुआं निकलता था और बरसात के मौसम में लकड़ी न मिलने पर कई तरह की परेशानियां होती थीं। जब मेहमान आते थे, तो खाना बनाना मुश्किल हो जाता था और चूल्हे के धुएं से मेरे बच्चों और परिवार को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती थीं। मैं इस योजना के लिए प्रधानमंत्री की बहुत आभारी हूं।"

कालीकट गांव की लाभार्थी प्रेमा ने बताया, "साल 2021 में मुझे उज्ज्वला योजना के तहत सिलेंडर मिला। उससे पहले मैं चूल्हे पर खाना बनाती थी। मुझे बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। पहले मैं लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाती थी और बाद में स्टोव आया। हमें कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ा क्योंकि केरोसिन की उपलब्धता मुश्किल थी और फिर 2021 में मुझे उज्ज्वला योजना का लाभ मिला। अब हालात बहुत अच्छे हैं। खाना पकाने में कोई कठिनाई नहीं है। पहले खाना बनाना बहुत मुश्किल था। जब बारिश होती थी, तो सारी लकड़ियां भींग जाती थीं और बड़ी मुश्किल से जलती थीं। बहुत धुआं होता था।"

एक अन्य लाभार्थी सूरा बीबी ने बताया कि अब लकड़ियां बीनने के लिए उन्हें दूर नहीं जाना पड़ता। पहले वह लकड़ियां जलाकर खाना बनाती थीं, लेकिन प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के बाद काफी फायदा हुआ है और समय की भी काफी बचत हुई है। समय की बचत से वह अतिरिक्त काम कर सकती हैं। प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई उज्ज्वला योजना वाकई बेहतरीन है और हम इसके लिए बहुत आभारी हैं। हमें अब ज्यादा बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती। जो समय बचता है, उसे हम अपने परिवार के साथ खुशी-खुशी बिताते हैं। इसके बाद कोई भी काम होता है, चाहे खाना बनाना हो या कुछ और, हम उसे हाथ में लेकर करते हैं। हम पहले से ज्यादा स्वस्थ भी महसूस करते हैं, क्योंकि पहले धुएं से हमें काफी परेशानी होती थी और इसका असर बच्चों पर भी पड़ता था।

नवंबर 2023 में उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन प्राप्त करने वाली बाम्बूफ्लैट की शिफा नौशाद बताती हैं कि पहले चीजें बहुत मुश्किल थीं क्योंकि हम चूल्हे पर खाना बनाते थे। चूल्हे के लिए जलाऊ लकड़ी भी लाना बहुत मुश्किल था। वन विभाग हमें लकड़ी या कुछ भी नहीं देता था। उसके बाद, हमने केरोसिन का इस्तेमाल किया, हम केरोसिन इकट्ठा करते थे और उससे चूल्हा जलाते थे। हमें इस तरह की बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ा। अब जब हमें उज्ज्वला कनेक्शन मिल गया है, तो चीजें बहुत आसान हो गई हैं। अब हम अपने परिवार के साथ समय बिता सकते हैं। पहले, हम हर समय चूल्हे से चिपके रहते थे और मुश्किल से अपने परिवार के साथ समय बिता पाते थे।

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Created On :   12 Jun 2025 10:43 PM IST

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