राष्ट्रीय: अहमदाबाद हादसा पीड़ित परिवार की भावुक अपील- एक दिन और ले लीजिए, हमें परिजनों के अंग सही-सलामत सौंपिए

अहमदाबाद हादसा पीड़ित परिवार की भावुक अपील- एक दिन और ले लीजिए, हमें परिजनों के अंग सही-सलामत सौंपिए
अहमदाबाद में हुई विमान दुर्घटना में मारे गए घर के सदस्यों के अवशेषों के लिए गुजरात का एक परिवार सरकार से गुहार लगा रहा है। दर्दनाक हादसे में गुजरात के खेड़ा जिले के 17 से अधिक परिवारों ने अपने प्रियजन खोए, जिनमें नडियाद के पवार परिवार के मुखिया महादेव तुकाराम पवार और उनकी पत्नी आशाबेन पवार भी शामिल हैं। ये दंपति ब्रिटेन में रहने वाले अपने बेटे से मिलने पहली बार विदेश यात्रा पर रवाना हुआ था। ये उनकी पहली हवाई यात्रा थी, जो दुर्भाग्यवश आखिरी साबित हुई।

नडियाद, 14 जून (आईएएनएस)। अहमदाबाद में हुई विमान दुर्घटना में मारे गए घर के सदस्यों के अवशेषों के लिए गुजरात का एक परिवार सरकार से गुहार लगा रहा है। दर्दनाक हादसे में गुजरात के खेड़ा जिले के 17 से अधिक परिवारों ने अपने प्रियजन खोए, जिनमें नडियाद के पवार परिवार के मुखिया महादेव तुकाराम पवार और उनकी पत्नी आशाबेन पवार भी शामिल हैं। ये दंपति ब्रिटेन में रहने वाले अपने बेटे से मिलने पहली बार विदेश यात्रा पर रवाना हुआ था। ये उनकी पहली हवाई यात्रा थी, जो दुर्भाग्यवश आखिरी साबित हुई।

बेटे रमेश का कहना है, "प्लेन में मेरे माता-पिता थे। जब वो दोनों एयरपोर्ट पर गए थे, तब वीडियो कॉल पर बात हुई थी। उन्होंने बताया था कि हमें सीट मिल गई है। सही जगह पर बैठे हैं। आखिर में जय भारत बोलकर उन्होंने फोन रख दिया।" रमेश ने बताया कि वो 10 साल से मंदिर में सेवा करने जाते थे।

विमान हादसे में अपने चाचा-चाची को खोने वाले महेश भावुक हो बोले, "वो खुद दोनों को एयरपोर्ट पर छोड़कर आए थे और दोपहर में घर लौट आए। कुछ समय बाद हादसे की खबर मिली तो तुरंत चाचा-चाची से संपर्क करने की कोशिश की। फोन तो बजा, लेकिन किसी ने उठाया नहीं। तब हम सभी चिंता में पड़ गए और अहमदाबाद की ओर रवाना हो गए।"

उन्होंने बताया, "परिवार के लोग सबसे पहले एयरपोर्ट पहुंचे, जहां से उन्हें जानकारी मिली कि सभी यात्रियों को असरवा अस्पताल भेजा गया है। अस्पताल में भीड़ और अफरातफरी का माहौल था। फिर भी रात में डीएनए सैंपल लिया गया, लेकिन स्थिति बहुत असमंजस भरी थी।"

सरकार से अपील करते हुए महेश ने कहा कि भावनाएं समझिए, व्यवस्था बनाई जाए। उन्होंने कहा, "आप 72 घंटे से एक दिन अधिक समय लीजिए, लेकिन हमें हमारे प्रियजनों के शरीर के अंग संगठित और सम्मानजनक तरीके से सौंप दीजिए। ये सिर्फ मेरी नहीं, हम सभी की मांग है। हमारी भावनाएं हमारे परिजनों से जुड़ी हैं।"

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Created On :   14 Jun 2025 11:17 AM IST

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