राजनीति: बाबासाहेब के प्रति लालू यादव का रवैया अपमानजनक, दलित प्रेम केवल छलावा राजीव रंजन

बाबासाहेब के प्रति लालू यादव का रवैया अपमानजनक, दलित प्रेम केवल छलावा राजीव रंजन
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव के जन्मदिन के अवसर पर एक विवाद ने जोर पकड़ लिया है, जब भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की तस्वीर उनके पैरों के पास रखा गया। इस घटना पर जनता दल (यूनाइटेड) ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और राजद पर दलितों के प्रति दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है।

पटना, 14 जून (आईएएनएस)। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव के जन्मदिन के अवसर पर एक विवाद ने जोर पकड़ लिया है, जब भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की तस्वीर उनके पैरों के पास रखा गया। इस घटना पर जनता दल (यूनाइटेड) ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और राजद पर दलितों के प्रति दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है।

जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने इस घटना को "विडंबनापूर्ण" करार देते हुए कहा कि राजद बार-बार जातीय जनगणना और आरक्षण की वकालत करती है, लेकिन संविधान निर्माता बाबासाहेब अंबेडकर के प्रति उनका रवैया सम्मानजनक नहीं है। यह कैसी विडंबना है कि एक ओर राजद दलित सशक्तिकरण और आरक्षण की बात करती है, लेकिन जब बाबासाहेब की तस्वीर लालू प्रसाद यादव के सामने लाई गई, तो उन्होंने उसे छूना तक मंजूर नहीं किया। तस्वीर को उनके घुटनों के पास रखा गया, जो दलितों के प्रति उनके भाव दर्शाता है।"

राजीव रंजन ने लालू प्रसाद और उनकी पार्टी पर दलितों के प्रति असंवेदनशील होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद के शासनकाल में दलितों के उत्पीड़न की कई घटनाएं सामने आई हैं। वोट बैंक की राजनीति के लिए दलितों के सशक्तिकरण और आरक्षण की बात करना राजद की रणनीति रही है, लेकिन बाबासाहेब जैसे महान व्यक्तित्व के प्रति अनादर का भाव जनता स्पष्ट देख रही है। यह दोहरा चरित्र उजागर करता है कि राजद का दलित प्रेम केवल दिखावा है।

उन्होंने आगे कहा कि बाबासाहेब ने भारत के संविधान में वंचित वर्गों के लिए कई प्रावधान सुनिश्चित किए, जिनमें आरक्षण और समानता के अधिकार शामिल हैं। ऐसे में उनके प्रति इस तरह का व्यवहार न केवल निंदनीय है, बल्कि यह भी दिखाता है कि राजद का दलितों के प्रति कोई वास्तविक सम्मान नहीं है।

जदयू प्रवक्ता ने जनता से अपील की कि वे ऐसे नेताओं और दलों का बहिष्कार करें, जो दलितों के प्रति केवल वोट की राजनीति करते हैं। जनता को यह समझना होगा कि बाबासाहेब जैसे महानायकों का अपमान करने वालों का असली चेहरा क्या है। दलित सशक्तिकरण की बात करने वाले पहले अपने आचरण को सुधारें।

इस घटना ने बिहार की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। राजद की ओर से अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

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Created On :   14 Jun 2025 12:16 PM IST

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