रक्षा: परमवीर अब्दुल हमीद ने 'गन माउनटेड जीप' से पाकिस्तान के पैटन टैंक को किया था तबाह, डिजाइन की समीक्षा के लिए मजबूर हुआ अमेरिका

परमवीर अब्दुल हमीद ने गन माउनटेड जीप से पाकिस्तान के पैटन टैंक को किया था तबाह, डिजाइन की समीक्षा के लिए मजबूर हुआ अमेरिका
मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित अब्दुल हमीद ने 1965 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में एक ऐसा काम किया, जिसे दुश्मन देश आज भी याद करके सिहर जाता है। उन्होंने अपनी एक 'गन माउनटेड जीप' से दुश्मन देश के अमेरिका निर्मित आठ पैटन टैंक तबाह कर दिए थे। दुश्मन देश पर किए इस चोट की गहराई को इसी से समझा जा सकता है कि इसके बाद अमेरिका को उस समय अजेय माने जाने वाले अपने पैटन टैंक के डिजाइन की फिर से समीक्षा करनी पड़ी थी।

नई दिल्ली, 30 जून (आईएएनएस)। मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित अब्दुल हमीद ने 1965 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में एक ऐसा काम किया, जिसे दुश्मन देश आज भी याद करके सिहर जाता है। उन्होंने अपनी एक 'गन माउनटेड जीप' से दुश्मन देश के अमेरिका निर्मित आठ पैटन टैंक तबाह कर दिए थे। दुश्मन देश पर किए इस चोट की गहराई को इसी से समझा जा सकता है कि इसके बाद अमेरिका को उस समय अजेय माने जाने वाले अपने पैटन टैंक के डिजाइन की फिर से समीक्षा करनी पड़ी थी।

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले धामूपुर गांव में 1 जुलाई 1933 को जन्मे अब्दुल हमीद भारतीय सेना की 4 ग्रेनेडियर रेजिमेंट में एक सिपाही थे। उन्होंने 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान अद्भुत वीरता का परिचय देते हुए वीरगति को प्राप्त किया। उनके वीरता और साहस को देखते हुए भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च सेना पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया। उन्हें यह पुरस्कार देने की घोषणा 16 सितंबर 1965 को की गई।

वीरगति प्राप्त करने से पहले परमवीर अब्दुल हमीद ने मात्र अपनी 'गन माउनटेड जीप' से उस समय अजेय समझे जाने वाले पाकिस्तान के "पैटन टैंकों" को नष्ट किया था। उनके इस साहसिक कार्य की चर्चा आज भी बहुत ही जोश और उत्साह से की जाती है।

हमीद 7 दिसंबर 1954 भारतीय सेना के ग्रेनेडियर रेजीमेंट में भर्ती हुए। इसके बाद उनकी तैनाती रेजीमेंट के 4 ग्रेनेडियर बटालियन में हुई जहां उन्होंने वीरगति प्राप्त होने तक (आगरा, अमृतसर, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, नेफा और रामगढ़) अपनी सेवाएं दीं। चीन के साथ युद्ध के दौरान उनकी बटालियन सातवीं इन्फैंट्री ब्रिगेड का हिस्सा थी, जिसने ब्रिगेडियर जॉन दलवी के नेतृत्व में नमका-छू के युद्ध में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से लोहा लिया। इस युद्ध के लिए सेकेंड लेफ्टिनेंट जी.वी.पी. राव को मरणोपरांत अद्भुत शौर्य और वीरता के प्रदर्शन के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। भारत की स्वतंत्रता के बाद इस बटालियन को मिलने वाला यह सबसे बड़ा सम्मान था। बाद में शहीद अब्दुल हमीद ने उससे भी बड़ा सम्मान परमवीर चक्र हासिल किया।

पाकिस्तानी सेना 'ऑपरेशन जिब्राल्टर' के तहत भारत में अस्थिरता पैदा करने के लिए जम्मू-कश्मीर में लगातार घुसपैठ की गतिविधियों को अंजाम दे रही थी। भारतीय सेना ने भारी तादाद में पाकिस्तानी नागरिकों के घुसपैठ को उजागर किया। जांच में इस बात के पुख्ता सबूत मिले कि पाकिस्तान ने कश्मीर पर कब्जा करने के लिए गुरिल्ला हमले की योजना बनाई थी।

पाकिस्तानी हमले के दौरान वीर अब्दुल हमीद पंजाब के तरनतारन जिले के खेमकरण सेक्टर में सेना की अग्रिम पंक्ति में तैनात थे। पाकिस्तान ने उस समय के अपराजेय माने जाने वाले अमेरिकन पैटन टैंकों के साथ खेमकरण सेक्टर के असल उत्तर गांव पर हमला कर दिया। पाकिस्तान को अमेरिकी टैंकों पर बड़ा भरोसा था, लेकिन भारतीय सैनिक अपने जज्बे के दम पर थ्री नॉट थ्री राइफल और एलएमजी के साथ पैटन टैंकों का सामना करने लगे। अब्दुल हमीद गन माउनटेड जीप से टैंकों को निशाना बना रहे थे।

हमीद ने अपनी जीप पर बैठकर पैटन टैंकों के कमजोर हिस्सों पर सटीक निशाना लगाना शुरू किया। एक-एक करके उन्होंने गन माउनटेड जीप से आठ पैंथर टैंकों को नष्ट कर दिया। देखते ही देखते असल उताड़ गावं पाकिस्तानी पैंथर टैंकों का कब्रगाह बन गया। इस दौरान हमीद की जीप पर दुश्मन देश का एक गोला गिर जाने से वह घायल हो गए। अगले दिन 9 सितंबर को उनका स्वर्गवास हो गया।

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Created On :   30 Jun 2025 5:48 PM IST

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