राजनीति: बिहार विधानसभा में कार्य स्थगन प्रस्ताव पेश, मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण पर चर्चा की मांग

बिहार विधानसभा में कार्य स्थगन प्रस्ताव पेश, मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण पर चर्चा की मांग
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हैं। पहले दिन मंगलवार को बिहार विधानसभा का मानसून सत्र हंगामेदार रहा। इस बीच राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मुख्य सचेतक अख्तरुल इस्लाम शाहीन की ओर से कार्य स्थगन प्रस्ताव पेश किया गया।

पटना, 22 जुलाई (आईएएनएस)। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हैं। पहले दिन मंगलवार को बिहार विधानसभा का मानसून सत्र हंगामेदार रहा। इस बीच राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मुख्य सचेतक अख्तरुल इस्लाम शाहीन की ओर से कार्य स्थगन प्रस्ताव पेश किया गया।

राजद के मुख्य सचेतक अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने कार्य स्थगन का प्रस्ताव पेश किया। विधानसभा में महागठबंधन के विधायकों के हस्ताक्षर के साथ यह प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया, जो विधानसभा सचिव को प्रेषित किया गया।

इस्लाम शाहीन के कार्य स्थगन प्रस्ताव के अनुसार, "मैं बिहार विधानसभा की प्रक्रिया कार्य संचालन नियमावली के नियम 98 के तहत लोक महत्व के विषय पर कार्य स्थगन की सूचना देता हूं। विदित हो कि कुछ दिन पहले ही राज्य भर में मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण का कार्य प्रारंभ कराया गया है। यह पुनरीक्षण का कार्य ऐसे समय शुरू कराया गया है, जब बिहार विधानसभा चुनाव महज एक-दो महीने बाद ही संभावित है। ऐसी स्थिति में यह एक्सरसाइज पूर्णतः अव्यवहारिक है, जिसे इतने कम समय में सही ढंग से नहीं कराया जा सकता। वर्तमान में राज्य के कम से कम 50 प्रतिशत क्षेत्र बाढ़ ग्रसित हैं, जहां आवागमन तक बाधित है।"

इस्लाम शाहीन ने कहा कि इतने कम समय में कराया जाने वाला यह कार्य चुनाव आयोग और केंद्र सरकार की मिलीभगत में एक गलत मंशा के तहत कराया जा रहा है, जिसमें राज्य के अधिकतर पिछड़ा, अति पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक और आदिवासी अपने मताधिकार से वंचित हो जाएंगे, जिसमें वे अपने ही देश में शरणार्थी का जीवन जीने को मजबूर हो जाएंगे तथा कालांतर में उन्हें इस तानाशाही सरकार द्वारा सभी सामाजिक, आर्थिक एवं कानूनी अधिकारों से भी वंचित किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि गणना प्रपत्र के साथ लगाए जाने वाले 11 डॉक्यूमेंट का निर्धारण भी मनमाने ढंग से किया गया है। इस तरह के कई मामले भी प्रकाश में आए हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि यह कार्य चुनाव आयोग के दिशा-निर्देश के तहत नहीं कराए जा रहे हैं और अनेकों दृष्टान्त ऐसे हैं, जिनमें बीएलओ पावती नहीं दे रहे हैं, गणना प्रपत्र के साथ लगाए जाने वाले कागजात मतदाता से नहीं ले रहे हैं और न ही इसे अपलोड किया जा रहा है। हम दृढ़ता से महसूस करते हैं कि राज्य के मतदाताओं से उसके मतदान का अधिकार छीनने की कोशिश रुकनी चाहिए। यह कार्य पर्याप्त समय रहते एवं चुनाव की तिथि से कम से कम 6 महीने पहले पूरा हो जाना चाहिए। अतः सारे पूर्व निर्धारित कार्यक्रम को स्थगित कर मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण कार्य जैसे अति लोक महत्व के विषय पर विमर्श हो।

--आईएएएनएस

डीकेपी/एबीएम

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Created On :   22 July 2025 7:20 PM IST

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