राष्ट्रीय: मुंबई ट्रेन विस्फोट सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक, पीड़ित ने कहा-न्‍याय की आस जगी

मुंबई ट्रेन विस्फोट  सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक, पीड़ित ने कहा-न्‍याय की आस जगी
सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई ट्रेन विस्फोटों के 12 आरोपियों को बरी करने से जुड़े बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इस आदेश का जेल से रिहा होने वाले आरोपियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। घटना के पीड़ित सीए चिराग चौहान ने कहा कि सभी पीड़ितों को आखिरकार न्याय मिलने की आस जगी है।

मुंबई, 24 जुलाई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई ट्रेन विस्फोटों के 12 आरोपियों को बरी करने से जुड़े बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इस आदेश का जेल से रिहा होने वाले आरोपियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। घटना के पीड़ित सीए चिराग चौहान ने कहा कि सभी पीड़ितों को आखिरकार न्याय मिलने की आस जगी है।

मुंबई विस्फोट घटना के पीड़ित सीए चिराग चौहान ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आशा की एक किरण जगी है कि सभी पीड़ितों को आखिरकार न्याय मिलेगा। जब यह घटना घटी, तब मैं 21 साल का था और सीए का छात्र था। मेरी रीढ़ की हड्डी में चोट लगी, जिसके कारण मुझे लकवा मार गया और तब से मैं व्हीलचेयर का इस्तेमाल कर रहा हूं। वह क्षण तनावग्रस्‍त होने वाला था, लेकिन उसके बाद मैंने हिम्‍मत जुटाई। चिराग का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट को पूरे मामले की गहराई से समीक्षा करनी चाहिए और दोषी जांच अधिकारियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए, ताकि सच्चा न्याय मिल सके।

मुंबई विस्फोट मामले में आरोपी मोहम्मद साजिद अंसारी ने कहा कि हाई कोर्ट का फैसला बहुत मजबूत है। इस मामले में तत्‍कालीन सरकार को माफी मांगनी चाहिए थी और दोषियों पर कार्रवाई करते हुए सजा मिलनी चाहिए थी। यह पीड़ितों के साथ भी धोखा है। मामले के असली दोषी अभी भी बाहर घूम रहे हैं और देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं। सरकार को बेगुनाह लोगों को जेल में डालने का पछतावा नहीं है, यह रवैया ठीक नहीं है। धर्म विशेष को निशाने पर लिया जाता रहा है, जेल में रहने के दौरान हम सब लोगों को यही बोलकर टॉर्चर किया जाता था। हम सब के साथ आतंकवादियों की तरह से बर्ताव किया जाता रहा है। हाई कोर्ट के फैसले से बेगुनाही की मुहर लग गई है। मेरे जेल में रहने से पूरे परिवार को परेशानी झेलनी पड़ी है, हालांकि परिवार का सपोर्ट मिलता रहा है। उन्‍होंने कहा कि 19 साल बाद जेल से बाहर निकलने पर लगा कि हम किसी नई दुनिया में आ गए हैं। मुझे टाइमर डिवाइस बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

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Created On :   24 July 2025 9:04 PM IST

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