राजनीति: भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है सचिन सावंत

अमेरिकी बिजनेस इंटेलिजेंस फर्म मॉर्निंग कंसल्ट द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 75 फीसदी लोगों की अप्रूवल रेटिंग के साथ 'डेमोक्रेटिक लीडर अप्रूवल रेटिंग्स' की नवीनतम वैश्विक सूची में एक बार फिर शीर्ष पर हैं। इस पर कांग्रेस नेता सचिन सावंत ने प्रतिक्रिया दी।

मुंबई, 26 जुलाई (आईएएनएस)। अमेरिकी बिजनेस इंटेलिजेंस फर्म मॉर्निंग कंसल्ट द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 75 फीसदी लोगों की अप्रूवल रेटिंग के साथ 'डेमोक्रेटिक लीडर अप्रूवल रेटिंग्स' की नवीनतम वैश्विक सूची में एक बार फिर शीर्ष पर हैं। इस पर कांग्रेस नेता सचिन सावंत ने प्रतिक्रिया दी।

उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि कौन सी ऐसी संस्था है, जो इस तरह की रेटिंग देती है और क्या ये रेटिंग भाजपा-आरएसएस खेमे से तैयार करवाई जाती है। 400 पार का दावा करने वाले 240 सीटों तक सिमट गए। अगर आज चुनाव हो जाए तो भाजपा आधी सीटें भी नहीं ला पाएगी। यह सब झूठा प्रचार और भ्रम फैलाने की कोशिश है।

उन्होंने कहा कि भारत का संविधान हर नागरिक को प्रधानमंत्री बनने का हक देता है, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या वर्ग से हो। देश में एक सिख प्रधानमंत्री 10 साल तक रहे हैं और अल्पसंख्यक समुदाय से राष्ट्रपति भी रह चुके हैं। यह दिखाता है कि लोकतंत्र में योग्यता और जनसमर्थन ही अहम होते हैं, न कि धर्म या जाति। लोकतंत्र में किसी भी योग्य व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनने का पूरा अधिकार है।

उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा आवश्यक है क्योंकि यह पाकिस्तान द्वारा भारत पर हुए आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी। सभी विपक्षी दलों ने सरकार को समर्थन दिया था, लेकिन समर्थन के साथ सवाल पूछने का हक भी विपक्ष को है। सरकार जवाबदेही से बच रही है और पारदर्शिता नहीं दिखा रही है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी सवाल उठ रहे हैं। सरकार को संसद में जवाब देना चाहिए। लेकिन, वो चर्चा से भाग रहे हैं।

मुंबई के बांद्रा स्थित ग्लोबल मॉल के पीवीआर थियेटर में मराठी फिल्मों को स्क्रीन न दिए जाने के विरोध में शिवसेना (शिंदे गुट) के कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया। जिसको लेकर कांग्रेस नेता सचिन सावंत ने कहा कि समझ नहीं आता कि जब एकनाथ शिंदे की शिवसेना सत्ता में है, तो मराठी फिल्मों को जगह क्यों नहीं मिल रही है? यह सरकार की जिम्मेदारी है, और मराठी भाषा विभाग भी उनके ही पास है। चुनाव नजदीक आते देख मराठी मुद्दे को उछालने की कोशिश हो रही है।

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Created On :   26 July 2025 10:47 PM IST

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