राजनीति: बिहार विधानसभा चुनाव बिहारीगंज में बरकरार रहेगा जदयू का दबदबा या बदलेगा समीकरण?

बिहार विधानसभा चुनाव  बिहारीगंज में बरकरार रहेगा जदयू का दबदबा या बदलेगा समीकरण?
बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच मधेपुरा जिले की बिहारीगंज विधानसभा सीट चर्चा में है। यह एक सामान्य (अनारक्षित) सीट है, जिसे 2008 के परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद एक स्वतंत्र निर्वाचन क्षेत्र का दर्जा मिला था। यह सीट मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत है और इसमें बिहारीगंज तथा ग्वालपाड़ा प्रखंडों के साथ-साथ उदाकिशुनगंज और मुरलीगंज प्रखंडों के कुछ ग्राम पंचायत शामिल हैं।

पटना, 7 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच मधेपुरा जिले की बिहारीगंज विधानसभा सीट चर्चा में है। यह एक सामान्य (अनारक्षित) सीट है, जिसे 2008 के परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद एक स्वतंत्र निर्वाचन क्षेत्र का दर्जा मिला था। यह सीट मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत है और इसमें बिहारीगंज तथा ग्वालपाड़ा प्रखंडों के साथ-साथ उदाकिशुनगंज और मुरलीगंज प्रखंडों के कुछ ग्राम पंचायत शामिल हैं।

राजनीतिक रूप से देखा जाए तो इस सीट पर जनता दल (यूनाइटेड) यानी जेडीयू का तीन बार से दबदबा बना हुआ है। 2010 में हुए पहले चुनाव में रेणु कुमारी ने जीत हासिल की थी, जबकि 2015 और 2020 के चुनावों में निरंजन कुमार मेहता ने लगातार जीत दर्ज की। 2020 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस की प्रत्याशी सुभाषिनी बुंदेला को हराया था और सीट को एनडीए के पक्ष में बनाए रखा। यह सीट अब 2025 में चौथी बार भी जेडीयू के पास रहेगी या विपक्ष नया समीकरण गढ़ेगा, यह सवाल क्षेत्रीय राजनीति का सबसे अहम बिंदु है।

भौगोलिक दृष्टि से बिहारीगंज, मधेपुरा जिले के दक्षिण-पूर्वी छोर पर स्थित है और जिला मुख्यालय से 41 किलोमीटर दूर है। यह बरौनी-कटिहार रेलमार्ग पर बसा हुआ है और इसका रेलवे स्टेशन उत्तर बिहार के सबसे पुराने स्टेशनों में गिना जाता है। नजदीकी शहरों में मुरलीगंज, ग्वालपाड़ा और पूर्णिया शामिल हैं, वहीं राजधानी पटना यहां से करीब 270 किलोमीटर की दूरी पर है।

बिहारीगंज की धरती कोसी नदी के उपजाऊ बेसिन क्षेत्र में आती है, जहां हर साल बाढ़ और जलजमाव कृषि, आधारभूत संरचना और जनजीवन को प्रभावित करते हैं। यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है। धान, गेहूं, मक्का, दालों के अलावा कुछ इलाकों में गन्ना और जूट की खेती भी की जाती है।

बिहारीगंज खुद को आसपास के गांवों के लिए एक व्यापारिक केंद्र के रूप में स्थापित कर चुका है, जहां कृषि उत्पादों की खरीद-बिक्री के साथ-साथ कपड़े और उपभोक्ता वस्तुओं का बाजार फलता-फूलता है। हालांकि, इस क्षेत्र में रोजगार की बड़ी समस्या है, जिसके कारण युवा वर्ग महानगरों की ओर पलायन करता रहा है। लेकिन, छोटे पैमाने पर खुले उद्योगों और शैक्षणिक संस्थानों ने कुछ हद तक इस चुनौती को कम करने की कोशिश की है।

चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में बिहारीगंज विधानसभा की अनुमानित जनसंख्या 5,36,528 है, जिसमें 2,74,883 पुरुष और 2,61,645 महिलाएं हैं। वहीं, मतदाताओं की कुल संख्या 3,32,862 है, जिनमें 1,72,683 पुरुष, 1,60,167 महिलाएं और 12 थर्ड जेंडर हैं।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   7 Aug 2025 1:03 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story