राष्ट्रीय: स्थानीय भाषाओं में इनोवेशन को मिलेगी नई उड़ान, अटल इनोवेशन मिशन और भाषिनी में समझौता

नई दिल्ली, 7 अगस्त (आईएएनएस)। अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम), नीति आयोग और डिजिटल इंडिया भाषिनी डिवीजन (डीआईबीडी) ने नई दिल्ली में एक समझौता पत्र (एसओआई) पर हस्ताक्षर किए। इसका उद्देश्य भाषा की बाधाओं को तोड़कर देशभर में इनोवेशन को बढ़ावा देना और भाषाई समावेशिता को प्रोत्साहित करना है।
अटल इनोवेशन मिशन के मिशन डायरेक्टर दीपक बगला और डिजिटल इंडिया भाषिनी डिवीजन के सीईओ अमिताभ नाग सहित दोनों पक्षों के नेतृत्व के बीच एक बैठक में समझौता पत्र को अंतिम रूप दिया गया। चर्चा का मुख्य ध्यान अटल इनोवेशन मिशन के राष्ट्रव्यापी इनोवेशन कार्यक्रमों में भाषा प्रौद्योगिकी को शामिल करने की सहयोगी रणनीतियों पर था।
इस साझेदारी के तहत विश्व बौद्धिक संपदा संगठन अकादमी की सामग्री को भाषिनी के उपकरणों का इस्तेमाल करके कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा। भविष्य में भाषिनी के मंचों का उपयोग करके शिक्षण सामग्री को गेमिफिकेशन के जरिए और आकर्षक बनाने की संभावनाएं भी तलाशी जाएंगी। एआईएम के इकोसिस्टम में शामिल स्टार्टअप्स और अन्य हितधारकों को बहुभाषी उत्पाद विकास के लिए जरूरी टूल्स और सैंडबॉक्स वातावरण उपलब्ध कराया जाएगा।
इस साझेदारी के माध्यम से एआईएम और भाषिनी मिलकर कई पहलें शुरू करने की योजना बना रहे हैं ताकि जमीनी स्तर के इनोवेशन को बढ़ावा दिया जा सके और भाषिनी के भाषा उपकरणों और तकनीकों का लाभ उठाया जा सके।
एआईएम के मौजूदा इकोसिस्टम में अटल इनक्यूबेशन सेंटर, अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर और नए लैंग्वेज इनक्लूसिव प्रोग्राम फॉर इनोवेशन सेंटर शामिल हैं, जो जमीनी स्तर पर कौशल विकास और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के लिए भाषिनी के मंचों का उपयोग तलाशेंगे।
अटल इनोवेशन मिशन के मिशन डायरेक्टर दीपक बगला ने कहा, "यह सहयोग समावेशी इनोवेशन को बढ़ावा देने के हमारे व्यापक लक्ष्य का समर्थन करता है। एआईएम की पहलों में भाषा तकनीकों को जोड़कर हम पूरे भारत में इनोवेटर्स को भाषा की परवाह किए बिना समान अवसर और पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में एक व्यावहारिक कदम उठा रहे हैं।"
डिजिटल इंडिया भाषिनी डिवीजन के सीईओ अमिताभ नाग ने कहा, "भाषा कभी भी इनोवेशन में बाधा नहीं बननी चाहिए। अटल इनोवेशन मिशन के साथ इस साझेदारी के माध्यम से हमारा उद्देश्य भारत के हर इनोवेटर को भाषाई पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना वे टूल्स देना है जिनकी उन्हें डिजिटल और उद्यमिता की क्रांति में पूरी भागीदारी के लिए जरूरत है। भाषिनी की भाषा तकनीकें संवाद की खाई को पाटेंगी और देशभर में समावेशी विकास के नए रास्ते खोलेंगी।"
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Created On :   7 Aug 2025 8:02 PM IST