राष्ट्रीय: आईआईएम लखनऊ में गौतम अदाणी का संबोधन, 'भारत निर्माण की नई पटकथा लिखने का समय आ गया है'

लखनऊ, 7 अगस्त (आईएएनएस)। नक्शे वहां तक ले जाते हैं जहां पहले कोई गया हो, लेकिन भविष्य उन्हें मिलता है जो नक्शों से आगे जाने का हौसला रखते हैं। ये प्रेरणादायक शब्द अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने गुरुवार को भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम), लखनऊ के विद्यार्थियों से कहा।
देश की सबसे बड़ी कॉर्पोरेट हस्तियों में से एक गौतम अदाणी का यह संबोधन सिर्फ एक सफल उद्यमी की व्यावसायिक यात्रा नहीं, बल्कि एक ऐसे भारतीय नागरिक की आत्मकथा थी, जिसने सपनों को साधने का साहस दिखाया और 'संघर्ष में संभावना' को मूर्त रूप दिया। अदाणी ने कहा कि मुझे आज सिर्फ छात्रों से नहीं, बल्कि भारत के भविष्य से बात करने का सौभाग्य मिला है।
उन्होंने युवाओं को संबोधित करते हुए 'सुरक्षा नहीं, संकल्प; सहूलियत नहीं, योगदान और सुविधा नहीं, साहस' चुनने का आह्वान किया। अपने संबोधन में उन्होंने मुंद्रा पोर्ट, क्वींसलैंड कोल प्रोजेक्ट, खावड़ा रिन्यूएबल एनर्जी पार्क और धारावी पुनर्विकास जैसी परियोजनाओं का जिक्र किया और बताया कि कैसे हर पहल में सिर्फ लाभ नहीं, बल्कि लक्ष्य और उत्तरदायित्व उनकी प्राथमिकता रही है। उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बताया कि मुंद्रा में दलदल था, बैंक हंसे। क्वींसलैंड में विरोध की आंधी थी, लेकिन हम अडिग रहे। खावड़ा में रेगिस्तान था, लेकिन हमने ग्रीन एनर्जी का सपना देखा। धारावी में भीड़ थी, लेकिन हमने इंसानियत देखी।
उन्होंने बताया कि व्यवसायिक नेतृत्व केवल आंकड़ों की भाषा नहीं, बल्कि दृष्टिकोण, धैर्य और दया की भाषा भी है। अपने विशिष्ट अंदाज में अदाणी ने विद्यार्थियों को भारत के वैश्विक उदय का सहभागी बनने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आप केवल वैश्वीकरण के छात्र नहीं हैं, आप हमारी सभ्यता की संतान हैं। भारत कोई प्रश्न नहीं है, जिसे हल करना है, बल्कि भारत वह उत्तर है, जिसे आपके माध्यम से दुनिया तक पहुंचाना है।
उन्होंने इस बात पर विशेष बल दिया कि भारत का युवा ऊर्जा, तकनीकी ढांचा, घरेलू पूंजी और उपभोक्ता मांग के आधार पर मिलकर एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण कर रहे हैं, जो 2050 तक 25 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनकर उभरेगा। तीन अमिट सूत्र, 'चरित्र, योगदान और साहस' उन्होंने अपने संबोधन में विद्यार्थियों से तीन अमिट जीवन-मूल्यों को अपनाने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि जब चुप रहना आसान हो, तब बोलना ही चरित्र है। जहां जरूरत ज़्यादा हो, वहां पहुंचकर योगदान देना ही सच्ची सेवा है और आसान रास्तों के बजाय, जिंदा कर देने वाले चुनौतीपूर्ण रास्तों को चुनना ही साहस की पहचान है। युवाओं से कहा, 'भारत तुम्हें पुकार रहा है' अपने संबोधन के समापन पर गौतम अदाणी ने युवाओं से कहा कि जाओ निर्माण करो, नेतृत्व करो, गर्जना करो, भारत तुम्हें पुकार रहा है।
---आईएएनएस
विकेटी/डीएससी/जीकेटी
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Created On :   7 Aug 2025 9:37 PM IST