राजनीति: सिकटा विधानसभा बिहार का सीमावर्ती इलाका, जहां बदलाव की कहानी लिखते हैं मतदाता

सिकटा विधानसभा बिहार का सीमावर्ती इलाका, जहां बदलाव की कहानी लिखते हैं मतदाता
पश्चिम चंपारण जिले में स्थित सिकटा विधानसभा क्षेत्र, बिहार विधानसभा की 200 सीटों में से एक है। यह एक प्रमुख ग्रामीण क्षेत्र है, जहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियों पर आधारित है। नेपाल की सीमा से निकटता के कारण यह इलाका सामरिक और सामाजिक दृष्टि से भी खासा महत्वपूर्ण माना जाता है।

पटना, 8 अगस्त (आईएएनएस)। पश्चिम चंपारण जिले में स्थित सिकटा विधानसभा क्षेत्र, बिहार विधानसभा की 200 सीटों में से एक है। यह एक प्रमुख ग्रामीण क्षेत्र है, जहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियों पर आधारित है। नेपाल की सीमा से निकटता के कारण यह इलाका सामरिक और सामाजिक दृष्टि से भी खासा महत्वपूर्ण माना जाता है।

यह क्षेत्र लंबे समय से सामाजिक और आर्थिक मुद्दों जैसे भूमि सुधार और गरीबी उन्मूलन को लेकर सक्रिय राजनीति का केंद्र रहा है। सिकटा की राजनीतिक पृष्ठभूमि काफी दिलचस्प रही है। कांग्रेस पार्टी ने यहां लगातार पांच बार जीत हासिल कर अपनी मजबूत पकड़ बनाई थी। 1980 और 1985 में जनता पार्टी ने बाजी मारी, जबकि 1990 में फैयाजुल आजम ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की। 1991 के उपचुनाव में दिलीप वर्मा ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की और इसके बाद 2010 तक उन्होंने इस सीट पर अपना वर्चस्व बनाए रखा। दिलीप वर्मा ने समय-समय पर निर्दलीय, भाजपा और समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते भी। साल 2020 में भाकपा-माले के उम्मीदवार बीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने जीत दर्ज की।

सिकटा विधानसभा क्षेत्र की आबादी का सामाजिक ढांचा विविधताओं से भरा है। यहां ठाकुर, यादव, दलित और मुस्लिम समुदायों की अच्छी-खासी संख्या है। खासतौर पर यादव और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है, जिसकी वजह से यह सीट महागठबंधन के लिए मजबूत मानी जाती है।

निर्वाचन आयोग के 2024 के प्रस्तावित अंतिम मतदाता सूची के अनुसार, क्षेत्र की कुल अनुमानित जनसंख्या 4,77,603 है, जिसमें पुरुष 2,51,674 और महिलाएं 2,25,929 हैं। मतदाताओं की कुल संख्या 2,89,162 है, जिनमें पुरुष 1,53,638, महिलाएं 1,35,514 और तीसरे लिंग के 10 मतदाता शामिल हैं।

सिकटा के भौगोलिक और सामरिक महत्व भी कम नहीं है। नेपाल की सीमा से जुड़ाव के चलते यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय महत्व रखता है। पोखरिया (नेपाल)- सिकटा मार्ग भारत-नेपाल को जोड़ने वाला मुख्य रास्ता है, साथ ही पोखरिया-सिकटा कैनाल भी इस क्षेत्र में स्थित है। नेपाल में मौजूद 'सिकटा सिंचाई परियोजना' बांके जिले की कृषि के लिए राष्ट्रीय महत्व की है।

रेल मार्ग की बात करें तो सिकटा रेलवे स्टेशन इस क्षेत्र का प्रमुख स्टेशन है, जो कंगाली हाल्ट जैसे छोटे स्टेशनों से भी जुड़ा है। यह स्टेशन भारतीय रेलवे नेटवर्क का हिस्सा है और पश्चिम चंपारण जिले में स्थित है।

इस तरह सिकटा विधानसभा क्षेत्र, सामाजिक, राजनीतिक और भौगोलिक सभी दृष्टियों से एक महत्वपूर्ण सीट के रूप में जाना जाता है, जहां का जनमत बिहार की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   8 Aug 2025 9:56 AM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story