आपदा: ऑपरेशन धराली राहत बचाव कार्य जारी, आपदाग्रस्त क्षेत्रों में फंसे लोगों को किया जा रहा एयरलिफ्ट

ऑपरेशन धराली राहत बचाव कार्य जारी, आपदाग्रस्त क्षेत्रों में फंसे लोगों को किया जा रहा एयरलिफ्ट
उत्तराखंड के धराली आपदा स्थल पर राहत बचाव कार्य लगातार पांचवें दिन शनिवार को भी जारी हैं। आपदाग्रस्त क्षेत्रों में फंसे लोगों को एयरलिफ्ट करके सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।

नई दिल्ली, 9 अगस्त (आईएएनएस)। उत्तराखंड के धराली आपदा स्थल पर राहत बचाव कार्य लगातार पांचवें दिन शनिवार को भी जारी हैं। आपदाग्रस्त क्षेत्रों में फंसे लोगों को एयरलिफ्ट करके सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।

उत्तरकाशी पुलिस ने अपने ऑफिशियल 'एक्स' हैंडल से पोस्ट करके राहत बचाव कार्यों की जानकारी दी। पोस्ट में जानकारी दी गई है कि शनिवार सुबह 8 बजे तक 52 लोगों को आईटीबीपी मातली शिफ्ट किया गया है। पोस्ट में लिखा, "हर्षिल के धराली आपदा स्थल पर पुलिस, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, सेना, फायर, राजस्व आदि की टीमें राहत एवं बचाव कार्य में जुटी हैं। आपदा ग्रस्त क्षेत्र में फंसे लोगों को एयरलिफ्ट करने का सिलसिला निरंतर जारी है। सुबह 8 बजे तक 52 लोगों को आईटीबीपी मातली शिफ्ट किया गया है।"

चिनूक और चीता हेलीकॉप्टर फंसे हुए तीर्थयात्रियों को धराली और हर्षिल के ऊंचाई वाले इलाकों में पहुंचा रहे हैं, जबकि कई स्थानों पर तैनात मेडिकल टीम प्रभावित लोगों की देखभाल कर रही है। सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन के 800 से अधिक सदस्यों वाली राहत और बचाव टीम बचाव अभियान में योगदान दे रही है, जबकि प्रभावित लोगों को त्वरित प्राथमिक उपचार प्रदान करने के लिए धराली, हर्षिल और मातली में कई चिकित्सा दल तैनात हैं।

बादल फटने से प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों को हवाई मार्ग से निकालने के लिए दो चिनूक हेलीकॉप्टर, 2 एमआई-17, और वायुसेना के चार हेलीकॉप्टर लगाए गए हैं।

भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में, 274 लोगों को गंगोत्री से हर्षिल, 19 लोगों को गंगोत्री से नीलांग, 260 लोगों को हर्षिल से मातली, 112 लोगों को हर्षिल से जॉली ग्रांट हवाई पट्टी और 382 लोगों को हर्षिल से हवाई मार्ग से निकाला गया।

राज्य का खाद्य एवं आपूर्ति विभाग भी विस्थापित लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था कर रहा है।

बता दें, धराली में 5 अगस्त को बादल फटने से आई अचानक बाढ़ और भूस्खलन के बाद करीब 50 नागरिक, आठ जवान और एक जूनियर कमीशंड अधिकारी (जेसीओ) अभी भी लापता हैं। बादल फटने के बाद, यह इलाका काफी दुर्गम बना हुआ है, और बरतवारी, लिंचीगढ़, गंगरानी, हर्षिल और धराली में प्रमुख सड़क संपर्क बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं। सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जवान फंसे हुए पर्यटकों को भोजन, चिकित्सा सहायता और आश्रय प्रदान कर रहे हैं।

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Created On :   9 Aug 2025 11:07 AM IST

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