समाज: लाल किले से पीएम मोदी ने आरएसएस को बताया दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ, जानते हैं क्यों?

नई दिल्ली, 15 अगस्त (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 79वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आसएसएस) की जमकर सराहना की। उन्होंने इसे दुनिया का सबसे बड़ा गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) करार देते हुए कहा कि संघ ने 100 वर्षों तक राष्ट्र की सेवा गौरवपूर्ण तरीके से की है।
प्रधानमंत्री के इन बोलों के पीछे वो इतिहास है जो संघ के सेवाभाव को परिलक्षित करता है। एक ऐसा संगठन जिसने आपदा के समय अपनी जिम्मेदारी ने मुख नहीं मोड़ा। अग्रिम पंक्ति में खड़े हो देश का मान बढ़ाया। यह पहली बार नहीं है जब संघ की पीएम मोदी ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की है।
इसी साल मार्च में अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ हुए इस साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरएसएस के उनके जीवन पर प्रभाव की चर्चा की थी। उन्होंने अपने बचपन और संघ के कार्यों, जैसे झुग्गी-बस्तियों में सेवा, आदिवासी कल्याण, और लाखों बच्चों को सस्ती शिक्षा प्रदान करने के बारे में विस्तार से बताया था। पीएम मोदी ने संघ के सेवा कार्यों को महत्वपूर्ण बताया था।
पीएम मोदी ने कहा, "संघ के कुछ स्वयंसेवकों से तैयार सेवा भारती संगठन झुग्गियों में बिना किसी सरकारी सहायता के काम करता है। ये लोग 125,000 सेवा प्रकल्प चलाते हैं। इसमें वे बच्चों को पढ़ाने और दूसरे काम करते हैं।”
बता दें, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आएसएस) की स्थापना 27 सितंबर 1925 को विजयादशमी के दिन नागपुर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। 20वीं सदी में भारत में एक अनूठे संगठन के रूप में उभरे आरएसएस का उद्देश्य राष्ट्र निर्माण और हिंदू समाज को संगठित करना रहा है। डॉ. हेडगेवार ने स्वतंत्रता से पहले के कठिन समय में जब विदेशी शासन ने भारत की सांस्कृतिक और मानसिक एकता को कमजोर किया था, समाज को एकजुट करने और राष्ट्रीय गौरव को पुनर्जनन देने का बीड़ा उठाया। उन्होंने स्वामी विवेकानंद, लोकमान्य तिलक और महात्मा गांधी जैसे महान नेताओं के विचारों से प्रेरणा ली और एक ऐसे संगठन की नींव रखी जो समाज के हर क्षेत्र में राष्ट्रीयता की भावना को मजबूत करे।
पिछले 100 वर्षों में आरएसएस ने सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक, श्रम, विकास और राजनीतिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसकी शाखाएं देश भर में 57 हजार से अधिक स्थानों पर चल रही हैं, जो इसकी व्यापक पहुंच को दर्शाती हैं। संघ ने सामाजिक सुधार, अखंडता और राष्ट्रीय एकता के लिए कई आंदोलनों को प्रेरित किया है, जैसे कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी), भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस), विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और विद्या भारती। इन संगठनों ने शिक्षा, श्रम, और सामाजिक समरसता जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं।
आरएसएस ने विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों में भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के माध्यम से कार्य किया, जिसने वनवासियों के विकास और उनकी सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, राम जन्मभूमि आंदोलन और कश्मीर बचाओ जैसे राष्ट्रीय मुद्दों पर आरएसएस ने समाज को जागृत करने का काम किया। संगठन ने सामाजिक बुराइयों जैसे छुआछूत, जातिगत भेदभाव और धर्मांतरण के खिलाफ भी सक्रियता से काम किया है।
आरएसएस की कार्यप्रणाली का केंद्र इसकी दैनिक शाखा है, जहां स्वयंसेवक एक घंटे के लिए एकत्रित होकर शारीरिक व्यायाम, देशभक्ति गीत और राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करते हैं। भगवा ध्वज के समक्ष सामूहिक प्रार्थना और भारत माता की जय का उद्घोष शाखा का मुख्य हिस्सा है। यह शाखा न केवल शारीरिक और मानसिक विकास का माध्यम है, बल्कि समाज में अनुशासन, एकता और देशभक्ति की भावना को भी मजबूत करती है। आरएसएस ने छह राष्ट्रीय उत्सवों को लोकप्रिय बनाया, जैसे वर्ष प्रतिपदा, हिंदू साम्राज्य दिनोत्सव और विजयादशमी, जो सामाजिक एकता को बढ़ावा देते हैं।
आरएसएस का दर्शन केवल भारत तक सीमित नहीं है। इसका हिंदू दर्शन, जो मानवता की एकता, प्रकृति के साथ सामंजस्य और आध्यात्मिकता पर जोर देता है, वैश्विक स्तर पर भी प्रासंगिक है। साम्यवाद और पूंजीवाद जैसी पश्चिमी विचारधाराओं के पतन के बाद, आरएसएस का हिंदू जीवन दर्शन एक वैकल्पिक और टिकाऊ मॉडल के रूप में उभर रहा है। यह दर्शन पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समरसता और आत्म-नियंत्रण पर आधारित है, जो आधुनिक विश्व की समस्याओं का समाधान प्रदान कर सकता है।
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Created On :   15 Aug 2025 12:06 PM IST