संस्कृति: तुलसी के बिना अधूरी है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पूजा, जानिए क्यों है ये इतनी खास

तुलसी के बिना अधूरी है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पूजा, जानिए क्यों है ये इतनी खास
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भक्ति, प्रेम और आस्था का सबसे पावन पर्व है। जब भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि आती है, तो हर गली, हर घर और हर मंदिर में 'नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की' गूंजने लगता है। भक्त व्रत रखते हैं, दिनभर भजन करते हैं और ठीक रात 12 बजे बाल गोपाल का जन्म उत्सव मनाते हैं। कान्हा के लिए झूला सजता है, आरती होती है, पंचामृत से स्नान कराया जाता है और फिर उन्हें प्रेम से तरह-तरह के भोग अर्पित किए जाते हैं। लेकिन इतने सारे भोग, पकवान और मिष्ठान होने के बाद भी अगर एक चीज न हो तो भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी मानी जाती है। वो चीज है 'तुलसी'... पूजा में जितना जरूरी माखन और मिश्री है, उतनी ही जरूरी है तुलसी भी।

नई दिल्ली, 16 अगस्त (आईएएनएस)। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भक्ति, प्रेम और आस्था का सबसे पावन पर्व है। जब भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि आती है, तो हर गली, हर घर और हर मंदिर में 'नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की' गूंजने लगता है। भक्त व्रत रखते हैं, दिनभर भजन करते हैं और ठीक रात 12 बजे बाल गोपाल का जन्म उत्सव मनाते हैं। कान्हा के लिए झूला सजता है, आरती होती है, पंचामृत से स्नान कराया जाता है और फिर उन्हें प्रेम से तरह-तरह के भोग अर्पित किए जाते हैं। लेकिन इतने सारे भोग, पकवान और मिष्ठान होने के बाद भी अगर एक चीज न हो तो भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी मानी जाती है। वो चीज है 'तुलसी'... पूजा में जितना जरूरी माखन और मिश्री है, उतनी ही जरूरी है तुलसी भी।

हिंदू धर्म में तुलसी को बहुत ही पवित्र माना गया है। इसे माता लक्ष्मी का रूप माना जाता है और भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय। चूंकि श्रीकृष्ण विष्णु जी के ही अवतार हैं, इसलिए उन्हें भी तुलसी उतनी ही प्रिय है।

विष्णु पुराण और भागवत पुराण में भगवान के प्रिय भोजन का वर्णन है। वहीं श्रीमद्भागवत पुराण में लिखा है कि भगवान विष्णु को तुलसी प्रिय है। ऐसा माना जाता है कि अगर हजार मिष्ठान भी बनाएं और उसमें तुलसी न हो, तो भगवान उसे नहीं स्वीकार करते। इसलिए जन्माष्टमी जैसे बड़े पर्व पर तुलसी का होना बहुत जरूरी माना जाता है। जन्माष्टमी पर जब आप अपने घर में लड्डू गोपाल को स्नान कराते हैं, उनका सुंदर श्रृंगार करते हैं और भोग लगाते हैं, तो उस भोग में तुलसी का एक पत्ता जरूर रखें। चाहे वह खीर हो, माखन हो या कोई मीठा पकवान, उसमें तुलसी जरूर डालें। यह भोग को पूर्ण बनाता है।

हालांकि जन्माष्टमी के दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना शुभ नहीं माना जाता। इसलिए मान्यता है कि एक दिन पहले ही यानी सप्तमी को तुलसी के पत्ते तोड़कर रख लेने चाहिए और उन्हें गंगाजल से धोकर साफ कपड़े में सुरक्षित रखना चाहिए। पूजन के समय उन्हीं पत्तों का उपयोग करना चाहिए।

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, जिस घर में तुलसी होती है, वहां नकारात्मक ऊर्जा नहीं टिकती और सुख-समृद्धि बनी रहती है। जन्माष्टमी के दिन तुलसी के पास एक देसी घी का दीपक जलाना और तुलसी माता की परिक्रमा करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन अगर कोई श्रद्धा से तुलसी माता की पूजा करता है, तो उसके घर में हमेशा सुख और शांति बनी रहती है।

तुलसी का महत्व केवल पूजा में ही नहीं, बल्कि हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत बड़ा है। आयुर्वेद में तुलसी को अमृत के समान बताया गया है। यह सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार जैसी कई बीमारियों से बचाने में मदद करती है। तुलसी का काढ़ा पीने से शरीर की रोगों से लड़ने की ताकत बढ़ती है। इसलिए इसे 'औषधियों की रानी' भी कहा जाता है।

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Created On :   16 Aug 2025 4:01 PM IST

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