राजनीति: राहुल गांधी आज भी देश को बांटने की राजनीति कर रहे शहजाद पूनावाला

राहुल गांधी आज भी देश को बांटने की राजनीति कर रहे  शहजाद पूनावाला
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कांग्रेस पर हमला बोला। उन्‍होंने कहा कि राहुल गांधी भारत को बांटने की राजनीति कर रहे हैं।

नई दिल्‍ली, 16 अगस्‍त (आईएएनएस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कांग्रेस पर हमला बोला। उन्‍होंने कहा कि राहुल गांधी भारत को बांटने की राजनीति कर रहे हैं।

एनसीईआरटी के 'विभाजन विभीषिका' मॉड्यूल में जिन्ना, कांग्रेस और माउंटबेटन को दोषी बताए जाने पर शहजाद पूनावाला ने कहा कि एनसीईआरटी के विशेष मॉड्यूल या मीडिया में आई रिपोर्ट के अनुसार, किताब में तथ्यात्मक रूप से बताया गया है कि विभाजन के दोषी कौन थे। चाहे यह किताब में शामिल हो या नहीं, इतिहास को नकारा नहीं जा सकता। जिन्ना ने विभाजन का प्रस्ताव रखा, कांग्रेस ने इसे स्वीकार और अनुमोदित किया और माउंटबेटन ने इसे लागू किया।

उन्‍होंने आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा कि कांग्रेस के भीतर, खासकर सत्ता के लालच और तुष्टिकरण के कारण, नेहरू की सरकार ने इसे आगे बढ़ाया। नेहरू ने खुद विभाजन को उचित ठहराया और उसका बचाव किया, इसे साबित करने के लिए उनके उद्धरण हैं। इसकी शुरुआत सर सैय्यद अहमद खान ने की। सबसे आखिर में इसे लागू करने का अधिकार किसके पास था, सत्‍ता के शिखर पर कौन था? जब पवन खेड़ा बखेड़ा खड़ा करते हैं और दोष देते हैं तो वह बताएं कि आखिर में उस समय सत्‍ता में कौन था, जो रोक सकता था।

पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस आज खुद इतिहास बन चुकी है क्‍योंकि वह इतिहास से सीख नहीं लेना चाहती। उस समय सत्‍ता की भूख और तुष्‍टीकरण की राजनीति थी, वह आज भी दिख रही है। राहुल गांधी कभी जाति के नाम पर तो कभी धर्म के नाम पर भारत को बांटने की राजनीति कर रहे हैं।

शहजाद पूनावाला ने दीपावली तक अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों की पीएम मोदी की घोषणा पर कहा कि जीएसटी लाना प्रधानमंत्री मोदी की सरकार द्वारा आर्थिक मोर्चे पर सबसे बड़ा ऐतिहासिक सुधार था, जिसने अब आठ साल पूरे कर लिए हैं। हम पहले ही 'एक राष्ट्र, एक कर' की प्रणाली के साथ आगे बढ़ चुके हैं। कांग्रेस पार्टी, जिसने खुद अपने कार्यकाल के दौरान जीएसटी का प्रस्ताव रखा था, सत्ता से बाहर होते ही इसे 'गब्बर सिंह टैक्स' कहना और इसका विरोध करना शुरू कर दिया। ठीक वैसे ही जैसे वह हर उस चीज का करती है, जिसका वह खुद प्रस्ताव रखती है। चाहे वार्षिक हो या मासिक, जीएसटी संग्रह लगातार बढ़ रहा है और रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।

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Created On :   16 Aug 2025 7:17 PM IST

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