संस्कृति: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी द्वारका इस्कॉन मंदिर में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, कथक नृत्यांगना यास्मीन सिंह ने बांधा समां

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी द्वारका इस्कॉन मंदिर में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, कथक नृत्यांगना यास्मीन सिंह ने बांधा समां
देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। दिल्ली के द्वारका स्थित इस्कॉन मंदिर में इस बार जन्माष्टमी के अवसर पर श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ी। मंदिर को रंग-बिरंगी लाइटों, फूलों और आकर्षक सजावट से भव्य रूप दिया गया, जो भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा।

नई दिल्ली, 16 अगस्त (आईएएनएस)। देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। दिल्ली के द्वारका स्थित इस्कॉन मंदिर में इस बार जन्माष्टमी के अवसर पर श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ी। मंदिर को रंग-बिरंगी लाइटों, फूलों और आकर्षक सजावट से भव्य रूप दिया गया, जो भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा।

मंदिर परिसर में भक्ति और उत्साह का अनूठा संगम देखने को मिला, जहां भक्तों ने भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन और पूजा-अर्चना में हिस्सा लिया।

इस बार जन्माष्टमी समारोह की खासियत रही प्रख्यात कथक नृत्यांगना डॉ. यास्मीन सिंह की मनमोहक प्रस्तुति। उनकी कथक नृत्य की प्रस्तुति ने मंदिर में मौजूद सभी श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। उनकी नृत्य कला के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इस अवसर पर सांसद कमलजीत सहरावत, विधायक संदीप सिंह सहरावत, काउंसलर रामनिवास गहलोत सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे, जिन्होंने इस आयोजन की भव्यता की सराहना की।

डॉ. यास्मीन सिंह ने अपनी प्रस्तुति के बाद कहा, "नृत्य मेरे लिए ईश्वर का दिया हुआ अनमोल उपहार है। यह कला भगवान का आशीर्वाद है। हर साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर प्रभु मुझे अपने चरणों में बुलाते हैं। इस्कॉन मंदिर में अपनी प्रस्तुति भगवान को समर्पित करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। यहां आकर मुझे आत्मिक शांति और अपार खुशी की अनुभूति होती है। मेरे अंदर भक्ति और कला के प्रति समर्पण ईश्वर की देन है।"

सांसद कमलजीत सहरावत ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा, "द्वारका में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव वास्तव में इस स्थान को सच्चे अर्थों में द्वारका बनाता है। इस्कॉन मंदिर की व्यवस्था और भक्ति का माहौल अनुपम है। यहां की सजावट, भक्ति भजनों और आयोजनों की व्यवस्था की जितनी प्रशंसा की जाए, कम है। इस मंदिर में आकर भगवान के दर्शन करने से आत्मा को सुकून और आनंद की अनुभूति होती है।"

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Created On :   16 Aug 2025 11:39 PM IST

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