अन्य खेल: सचिन नाग पैसा जुटाकर ओलंपिक खेलने वाले तैराक, जिन्होंने एशियन गेम्स में रचा इतिहास

सचिन नाग  पैसा जुटाकर ओलंपिक खेलने वाले तैराक, जिन्होंने एशियन गेम्स में रचा इतिहास
भारत के मशहूर तैराक सचिन नाग ने 1951 के पहले एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा था। वह स्वतंत्र भारत के पहले एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने वाले खिलाड़ी थे। सचिन नाग ने तैराकी के क्षेत्र में देश का नाम रोशन किया और युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बने।

नई दिल्ली, 18 अगस्त (आईएएनएस)। भारत के मशहूर तैराक सचिन नाग ने 1951 के पहले एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा था। वह स्वतंत्र भारत के पहले एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने वाले खिलाड़ी थे। सचिन नाग ने तैराकी के क्षेत्र में देश का नाम रोशन किया और युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बने।

5 जुलाई 1920 को वाराणसी में जन्मे सचिन नाग गंगा के किनारे पले-बढ़े थे। उन्हें तैराकी का शौक तो रहा, लेकिन कभी यह नहीं सोचा कि वह इसमें एक दिन देश का नाम रोशन करेंगे। जल्द ही वह एक शानदार तैराक बन चुके थे। तैराकी में बेहतर करते-करते वह अब प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने लगे थे। साल 1930 से 1936 के बीच सचिन नाग ने कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और प्रत्येक प्रतियोगिता में टॉप-2 स्थान में जगह हासिल की।

जामिनी दास उस दौर में तैराकी के मशहूर कोच थे। सचिन की प्रतिभा देखते हुए उन्होंने इस बच्चे को कोलकाता बुला दिया और ट्रेनिंग देनी शुरू की। सचिन नाग ने बंगाल के हाटखोला क्लब की ओर से स्टेट चैंपियनशिप में हिस्सा लेना शुरू कर दिया।

उन्होंने साल 1938 में 100 मीटर और 400 मीटर फ्रीस्टाइल तैराकी में जीत दर्ज की। अगले साल 100 मीटर फ्रीस्टाइल में नेशनल रिकॉर्ड की बराबरी कर ली। वहीं, 200 मीटर फ्रीस्टाइल में नया रिकॉर्ड बना दिया।

महज 20 वर्ष की उम्र में सचिन नाग ने दिलीप मित्रा के उस रिकॉर्ड को तोड़ दिया, जो दिलीप ने 100 मीटर फ्रीस्टाइल में बनाया था। सचिन लगातार नौ साल तक राज्य स्तर पर 100 मीटर फ्रीस्टाइल तैराकी प्रतियोगिता के विजेता रहे। अब सचिन नाग का लक्ष्य साल 1948 के ओलंपिक गेम्स में हिस्सा लेना था, लेकिन साल 1947 में एक दुर्घटना में वे इतने घायल हो गए कि उनकी फीमर हड्डी टूट गई। सचिन नाग को डॉक्टर्स ने अगले दो साल तैराकी से दूर रहने की सख्त हिदायत दी, लेकिन उनके दिमाग में सिर्फ ओलंपिक ही था।

सचिन नाग ने रिकवरी के तुरंत बाद ओलंपिक की तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने करीब छह महीने जमकर मेहनत की, लेकिन अब पैसों की समस्या सामने आ गई। इस खिलाड़ी ने जगह-जगह घूमकर फंड जुटाया। इस दौरान उन्हें मशहूर गायक हेमंत मुखोपाध्याय का भी साथ मिला, जिन्होंने एक कार्यक्रम का आयोजन करते हुए धन जुटाने में सचिन नाग की मदद की। आखिरकार सचिन ओलंपिक में शामिल हुए और छठा स्थान हासिल किया।

एशियन गेम्स 1951 के 100 मीटर फ्रीस्टाइल इवेंट में सचिन नाग ने गोल्ड मेडल जीता। यह गेम्स नई दिल्ली में आयोजित हो रहे थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी दर्शक दीर्घा में मौजूद थे। उन्होंने इस जीत पर सचिन नाग को बधाई देते हुए उन्हें गुलाब का फूल दिया था।

सचिन नाग ने एशियन गेम्स 1951 के 4×100 मीटर फ्रीस्टाइल रिले और 3×100 मीटर फ्रीस्टाइल रिले में देश को ब्रॉन्ज मेडल दिलाए। सचिन नाग ने ओलंपिक गेम्स 1952 में भी हिस्सा लिया। 19 अगस्त 1987 को इस दिग्गज तैराक ने दुनिया को अलविदा कह दिया। साल 2020 में उन्हें मेजर ध्यानचंद पुरस्कार (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया।

फरवरी 2025 में सचिन नाग को अंतरराष्ट्रीय तैराकी महासंघ ने 'हॉल ऑफ फेम' में शामिल किया है, जिसमें माइकल फेल्प्स और जॉनी वाइजमुलर जैसे तैराक शामिल हैं।

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Created On :   18 Aug 2025 2:28 PM IST

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