धर्म: गणेश चतुर्थी रवि और सर्वार्थ सिद्धि योग में करें गणपति की स्थापना, पाएं सफलता

गणेश चतुर्थी रवि और सर्वार्थ सिद्धि योग में करें गणपति की स्थापना, पाएं सफलता
भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा-अराधना करने के साथ गजानन की स्थापना भी की जाती है।

नई दिल्ली, 26 अगस्त (आईएएनेस)। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा-अराधना करने के साथ गजानन की स्थापना भी की जाती है।

दृक पंचांग के अनुसार, इस दिन अभिजीत मुहूर्त नहीं है और राहुकाल का समय दोपहर के 12 बजकर 22 मिनट से होकर 1 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। इस दिन रवि और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग भी रहेगा।

रवि योग ज्योतिष में एक शुभ योग है। यह योग तब बनता है जब चंद्रमा का नक्षत्र सूर्य के नक्षत्र से चौथे, छठे, नौवें, 10वें और 13वें स्थान पर होता है। इस दिन आप किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत कर सकते हैं। निवेश, यात्रा, शिक्षा या व्यवसाय से संबंधित काम की शुरुआत करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

सर्वार्थ सिद्धि योग तब बनता है जब कोई विशेष नक्षत्र किसी विशेष दिन के साथ आता है। मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं और व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है। इसका मुहूर्त 27 अगस्त की सुबह 5 बजकर 57 मिनट से शुरू होकर 6 बजकर 4 मिनट तक रहेगा।

चतुर्थी तिथि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को शुरू होती है और 10 दिनों तक चलती है, जिसे अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त किया जाता है। यह त्योहार पूरे भारत में, विशेषकर महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात, कर्नाटक और तेलंगाना में, बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान, लोग अपने घरों और सार्वजनिक पंडालों में भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्तियां स्थापित करते हैं।

इन 10 दिनों में, भगवान गणेश की मूर्ति की पूजा, मंत्रोच्चार और भजन-कीर्तन किए जाते हैं। लोग गणेश जी को उनके पसंदीदा मोदक और लड्डू का भोग लगाते हैं। दसवें दिन, भक्त गणेश जी की मूर्तियों को विसर्जन के लिए भक्तों की रैली ले जाते हैं और उन्हें नदी, समुद्र या तालाब में विसर्जित करते हैं। यह विसर्जन इस बात का प्रतीक है कि भगवान गणेश अपने भक्तों के घरों से विदा लेकर अपने धाम लौट रहे हैं।

यह त्योहार एकता, खुशी और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।

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Created On :   26 Aug 2025 9:22 AM IST

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