स्वास्थ्य/चिकित्सा: नवजात शिशुओं की देखभाल डॉ. राकेश ने मां के दूध, विटामिन डी और कुपोषण पर दी अहम सलाह

नवजात शिशुओं की देखभाल डॉ. राकेश ने मां के दूध, विटामिन डी और कुपोषण पर दी अहम सलाह
घर में नए शिशु के जन्म के साथ ही परिवार, खासकर मां की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। दिल्ली एम्स के पूर्व रेसिडेंट और पीडियाट्रिशियन कंसल्टेंट डॉ. राकेश ने मंगलवार को आईएएनएस से विशेष बातचीत में नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए। उन्होंने शुरुआती छह महीनों में शिशु की देखभाल, पोषण और स्वास्थ्य से जुड़ी भ्रांतियों को दूर किया।

नई दिल्ली, 2 सितंबर (आईएएनएस)। घर में नए शिशु के जन्म के साथ ही परिवार, खासकर मां की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। दिल्ली एम्स के पूर्व रेसिडेंट और पीडियाट्रिशियन कंसल्टेंट डॉ. राकेश ने मंगलवार को आईएएनएस से विशेष बातचीत में नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए। उन्होंने शुरुआती छह महीनों में शिशु की देखभाल, पोषण और स्वास्थ्य से जुड़ी भ्रांतियों को दूर किया।

डॉ. राकेश ने बताया कि पहले छह महीने शिशु को केवल मां का दूध देना चाहिए। इस दौरान पानी, शहद या अन्य कोई तरल पदार्थ नहीं देना चाहिए। छह महीने के बाद धीरे-धीरे दाल का पानी और अन्य तरल आहार शुरू किया जा सकता है।

उन्होंने बच्चों में विटामिन 'डी' और आयरन की कमी पर चिंता जताते हुए कहा, "जन्म से एक साल तक विटामिन 'डी' की खुराक अनिवार्य है, अन्यथा हड्डियों का टेढ़ापन, रात में पेट दर्द और विकास में कमी जैसे लक्षण दिख सकते हैं। आयरन की कमी से बच्चे चिड़चिड़े हो सकते हैं, भूख कम लगती है और ग्रोथ प्रभावित होती है।"

कुपोषण के शुरुआती लक्षणों पर डॉ. राकेश ने कहा, "बच्चों की लंबाई और वजन की नियमित निगरानी जरूरी है। यदि वजन या लंबाई में बढ़ोतरी नहीं हो रही, बच्चा कमजोर दिख रहा हो, चिड़चिड़ापन या भूख में कमी दिखे, तो ये कुपोषण के संकेत हो सकते हैं। जन्मजात हृदय या फेफड़ों की बीमारियों में भी ये लक्षण दिख सकते हैं। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।"

डॉ. राकेश ने जंक फूड के नुकसान पर कहा, "इससे बच्चों में मोटापा, कोलेस्ट्रॉल, हृदय रोग और उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ता है। इसके बजाय, मौसमी फल और सब्जियां बच्चों की डाइट में शामिल करनी चाहिए, क्योंकि ये पोषण का महत्वपूर्ण स्रोत हैं।"

एनीमिया के बारे में उन्होंने बताया, "यह खून में हीमोग्लोबिन और आयरन की कमी से होता है, जिससे पढ़ाई में ध्यान की कमी और शारीरिक विकास में रुकावट आती है।"

उन्होंने सरकारी योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि आंगनबाड़ी में छह साल तक के बच्चों को दैनिक जरूरी पोषण का आधा हिस्सा प्रदान करती हैं। विभिन्न सरकारें ऐसी योजनाओं के जरिए बच्चों के पोषण को बेहतर बनाने में जुटी हैं।

डॉ. राकेश ने माता-पिताओं से सतर्क रहने और बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की अपील की।

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Created On :   2 Sept 2025 10:23 PM IST

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